झारखंड में कुल 31 सिंचाई परियोजनाएँ संचालित हैं, जिनमें से नौ वृहद सिंचाई परियोजनाएँ हैं। इनमें से एक परियोजना AIBP (त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम) के तहत आती है, जिसमें केंद्र सरकार से मदद मिल रही है। शेष आठ वृहद परियोजनाएँ राज्य योजना के तहत संचालित हो रही हैं। इसके अलावा, 16 योजनाएँ राज्य योजना के तहत मध्य सिंचाई परियोजनाओं के रूप में हैं।
वृहद सिंचाई परियोजनाएं :
- अजय बराज परियोजना
- चांडिल डैम परियोजना
- टेनुघाट (तेनुघाट) जलाशय परियोजना
- स्वर्णरेखा परियोजना - AIBP
- मयूराक्षी (मसानजोर) परियोजना
- अमरपुर बराज परियोजना
- पतरातू जलाशय परियोजना
- सिद्धेश्वर बांध परियोजना
- कांची परियोजना
माध्यम सिंचाई परियोजनाएं :
- गरही जलाशय परियोजना
- कांके डैम परियोजना
- कोनार डैम परियोजना
- नॉर्थ कोयल परियोजना
- वसुकी जलाशय परियोजना
- जयरानी जलाशय परियोजना
- ललपानी परियोजना
- तिलैया जलाशय परियोजना
- राजा बांध परियोजना
- शंख जलाशय परियोजना
- पंचेत जलाशय परियोजना
- रांची लेक परियोजना
- तोरी डैम परियोजना
- तपकारा जलाशय परियोजना
- मलूटी जलाशय परियोजना
- गुमानी बराज परियोजना
परियोजनाओं की जानकारी :
1. मैथन डैम (1948-1957): मैथन डैम का निर्माण 1948 में शुरू हुआ और 1957 में पूरा हुआ। यह डैम बराकर नदी पर स्थित है और इसे दामोदर घाटी निगम द्वारा विकसित किया गया था। यह सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, और बिजली उत्पादन के लिए उपयोगी है।
2. तिलैया डैम (1953): तिलैया डैम का निर्माण 1953 में बराकर नदी पर हुआ था। यह भी DVC परियोजना का हिस्सा है और सिंचाई के साथ-साथ पनबिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
3. कोनार डैम (1955): कोनार नदी पर स्थित इस डैम का निर्माण 1955 में हुआ था। यह दामोदर घाटी परियोजना का हिस्सा है और सिंचाई, जलापूर्ति और बिजली उत्पादन में सहायक है।
4. पंचेत डैम (1959): पंचेत डैम का निर्माण 1959 में दामोदर नदी पर हुआ था। यह डैम सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और पनबिजली उत्पादन में मदद करता है।
5. चांडिल डैम (1980): यह डैम सुवर्णरेखा नदी पर स्थित है और सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना का हिस्सा है। यह सिंचाई, जल आपूर्ति, और बाढ़ नियंत्रण में सहायक है।
6. सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना (1980 - 1990): यह परियोजना झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में सिंचाई और जल आपूर्ति प्रदान करती है। यह परियोजना AIBP (त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम) के तहत आती है, इसके के तहत कई डैम और बैराज बनाए गए हैं।
- चांडिल बैराज (Chandil Barrage), सुवर्णरेखा नदी, सरायकेला-खरसावां जिला
- गालूडीह बैराज (Galudih Barrage), सुवर्णरेखा नदी, पूर्वी सिंहभूम जिला
- इचागढ़ बैराज (Ichha Barrage), खरकई नदी, सरायकेला-खरसावां जिला
7. अजय बैराज परियोजना (1990): अजय नदी पर स्थित इस बैराज का निर्माण 1990 के दशक में हुआ था। यह दुमका और देवघर जिलों में सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।
8. तेनुघाट डैम (1970): दामोदर नदी पर स्थित इस डैम का निर्माण 1970 के दशक में हुआ था। यह सिंचाई, जल आपूर्ति, और बाढ़ नियंत्रण में सहायक है।
9. मसलिया-रानीश्वर मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना : यह झारखंड की पहली ऐसी सिंचाई योजना है, जिसमे ना कोई विस्थापन होगा और ना ही कोई डूब क्षेत्र होगा। भूमिगत पाइपलाइन के जरिए 22383 हेक्टेयर खेत मे पटवन का पानी पहुंचेगा। इसका शिलान्यास 9/11/2022 को किया गया।
10. मसानजोर (मयूराक्षी) बांध (1965) : मसानजोर दुमका जिले में मयूराक्षी नदी पर स्थित है। निर्माण वर्ष 1955 में शुरू हुआ और इसे वर्ष 1965 में पूरा किया गया।
11. कांची परियोजना : यह परियोजना रांची जिले में स्थित है। इसका निर्माण दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61) के दौरान तैयार की गई थी। इसे वर्ष 1958 में शुरू किया गया था और वर्ष 1966 पूर्ण हुआ। इस परियोजना का निर्माण स्वर्णरेखा नदी बेसिन में कांची नदी पर किया गया है।
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