IPO क्या होता है ?

 


आप ने खबरों में अक्सर सुना होगा कि किसी कंपनी के द्वारा IPO लाया गया है। लेकिन ये IPO होता क्या है? जिसका इस्तेमाल निजी कंपनियां करती है।

दरअसल निजी कंपनियां सार्वजनिक निवेशकों से पूंजी जुटाने के लिए IPO का इस्तेमाल करती है। IPO ( Initial Public Offering) की प्रक्रिया के जरिये कोई निजी कंपनी पहली बार अपने स्टॉक के शेयर जनता को देती है। एक बार IPO पूरा हो जाने के बाद, कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो जाते हैं और यह सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी बन जाती है।

IPO को अक्सर किसी कंपनी के लिए एक प्रमुख मील का पत्थर माना जाता है, क्योंकि यह पूंजी के एक बड़े पूल तक पहुँच प्रदान करता है, इस प्रक्रिया की वजह से शुरुआती निवेशकों और कर्मचारियों को तरलता प्रदान कर सकता है। परंतु, कंपनी के सार्वजनिक होने का मतलब यह भी है कि कंपनी को सख्त नियामक आवश्यकताओं और निवेशकों और जनता की ओर से बढ़ी हुई जाँच का पालन करना होगा।


भारत में IPO का इतिहास :

यदि हम भारत में IPO के इतिहास की बात करते है तो पहला आधुनिक IPO मार्च 1602 में हुआ था, जब डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने पूंजी जुटाने के लिए कंपनी के शेयरों की पेशकश जनता को की थी।

स्वतंत्रता के बाद भारत में, रिलायंस 1977 में सार्वजनिक होने वाली पहली भारतीय कंपनी थी।