समान नागरिक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) क्या है ? समान नागरिक संहिता (UCC) आवश्यकता क्यों है ? और संविधान UCC के विषय पर क्या कहता है ? ऐसे ही सवालों के जवाब इस आर्टिकल में जानेंगे।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का उल्लेख है। यह संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व का हिस्सा है जिसे न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती, मतलब इसे न्यायालय के द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता। इसे लागू करना संसद की जिम्मेदारी है।
समान नागरिक संहिता (UCC) के जरिये सभी धर्मों, समुदायों के लिए एक सामान, एक बराबर कानून बनाने की वकालत की गई है। आसान भाषा में कहें तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदाओं के लिए कानून एक समान होगा।
UCC गोवा में लागू है।
भारत में गोवा पहला और एकमात्र ऐसा राज्य है जहां UCC लागू है। आप को बता दें कि संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है, इसे गोवा सिविल कोड ( Formally Portuguese Civil Code of 1867) के नाम से भी जाना जाता है। गोवा में सभी धर्म और जातियों के लिए एक ही फैमिली लॉ है। इस कानून के तहत गोवा में कोई मुस्लिम ट्रिपल तलाक नहीं दे सकता है। शादी के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। संपत्ति पर पति-पत्नी का समान अधिकार है, इसके अलावा पैरेंट्स को कम से कम आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा, जिसमें बेटियां भी शामिल हैं. गोवा में मुस्लिमों को 4 शादियां (बहुविवाह) करने का अधिकार नहीं है, जबकि कुछ शर्तों के साथ हिंदुओं को दो शादी करने की छूट दी गई है।
सम्पूर्ण भारत में लागू करने का प्रयास :
देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने को लेकर पहले भी राय मांगी जा चुकी है. साल 2016 में विधि आयोग ने UCC को लेकर लोगों से राय मांगी थी. इसके बाद आयोग ने 2018 में अपनी रिपोर्ट तैयार की गई थी। लॉ कमीशन ने 14 जून से 14 जुलाई 2023 के बीच UCC पर सार्वजनिक रूप से लोगों और संगठनों के सुझाव मांगे थे। आयोग का मानना है कि यह मुद्दा देश के हर नागरिक से जुड़ा है, ऐसे में कोई फैसला लेने से पहले उनकी राय जानना जरूरी है।