मानगढ़ नरसंहार - 1500 से ज्यादा लोग शहीद हुए थे


ब्रिटिश शासन काल के दौरान भारत में राजस्थान की वर्तमान राजधानी जयपुर से क़रीब 550 किलोमीटर दूर आदिवासी बहुल बांसवाड़ा के ज़िला के मानगढ़ की पहाड़ियों में 17 नवंबर 1913 को अंग्रेजों ने नरसंहार किया था। इस नरसंहार में करीब डेढ़ हजार लोग शहीद हुए। स्थानीय लोग इस स्थान को "मानगढ़ धाम" के नाम से जानते हैं। 


नरसंहार :

वर्ष 1913 में अंग्रेजों को सूचना मिली कि मानगढ़ में आयोजित होने वाली सभा (संपा सभा) मे किसी बड़े विद्रोह की तैयारी हो रही है। जिसकी खबर मिलते ही बंबई राज्य की सशस्त्र सैन्य टुकड़ी 10 नवंबर, 1913 को पहाड़ी के पास पहुंच गई।

सुरुआत में सशस्त्र भीलों ने बलपूर्वक सैन्य अधिकारी सहित सेना को वापस भेज दिया। परंतु अंग्रेज सेना पहाड़ी से थोड़ी दूर पर ठहर गई। 12 नवंबर 1913 को एक भील प्रतिनिधि पहाड़ी के नीचे उतरा और भीलों का मांगपत्र सैन्य अधिकारी को सौंपा मगर समझौता नहीं हो पाया। इसके बाद अंग्रेजो परिस्थिति को गंभीरता से लेते हुए छावनी से सेना बुला दी।

17 नवंबर, 1913, आश्विन शुक्ल पूर्णिमा के दिन अंग्रेजो ने फायरिंग शुरू कर दी। जिसमे करीब 1500 लोगो की मृत्यु हो गयी। इस हमले में गोविंद गुरु के पांव में गोली लगी। घायल अवस्था में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। मुकदमा चला और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई, परंतु बाद में फांसी को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। अच्छे चाल-चलन की वजह से गोविद गुरु को वर्ष 1923 में उन्हें रिहा कर दिया गया।