भारत का उपराष्ट्रपति और उनकी निर्वाचन प्रणाली vice president of india


भारतीय संविधान का अनुच्छेद 63 कहता है कि "भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा" और अनुच्छेद 64 के अनुसार उपराष्ट्रपति "राज्यों की परिषद का पदेन अध्यक्ष होगा"। यदि राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाती है, राष्ट्रपति इस्तीफा दे देता है या राष्ट्रपति को हटाया जाता है तो अनुच्छेद 65 के अनुसार उपराष्ट्रपति उस तारीख तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा जब तक कि नए राष्ट्रपति की नियुक्ति नहीं की जाती।

संवैधानिक व्यवस्था में उपराष्ट्रपति पद का धारक कार्यपालिका का भाग है परंतु अनुच्छेद 89 के अनुसार राज्य सभा के सभापति के रूप में वह संसद का भाग है। इस प्रकार उपराष्ट्रपति की दोहरी भूमिका होती है और वह दो अलग-अलग और पृथक पद धारण करता है। उपराष्ट्रपति पद का कोई वेतन नहीं होता है, उनका वेतन 'संसद अधिकारी वेतन और भत्ता अधिनियम 1953' के तहत तय होता है। पक्ष और विपक्ष के मत बराबर होने पर निर्णायक वोट डाल सकते है।


उपराष्ट्रपति की योग्यता क्या होती है ?

उपराष्ट्रपति के योग्यता संबंधित प्रावधान अनुच्छेद 66(3) है। इसके अनुसार :-

  1. उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए। 
  2. 35 वर्ष की आयु पूर्ण होनी चाहिए।
  3. राज्यसभा के सदस्य हेतु निर्वाचन की योग्यता होनी चाहिए।
  4. भारत सरकार, राज्य सरकार या किसी स्थानीय राजकीय पर प्राधिकरण के अंतर्गत लाभ के पद पर नहीं होने चाहिए।


चुनाव कब होता है ?

संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा हो जाने के 60 दिनों के भीतर नये उपराष्ट्रपति का निर्वाचन कराना ज़रूरी होता है। चुनाव के लिए चुनाव आयोग एक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करता। यह निर्वाचन अधिकारी किसी एक सदन का सेक्रेटरी जनरल होता है। निर्वाचन अधिकारी चुनाव को लेकर पब्लिक नोट जारी करता है और उम्मीदवारों से नामांकन के लिए मंगवाता है।


निर्वाचन कैसे होता है?

उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधित उपबंधों का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 66 में है। जिसके अनुसार उपराष्ट्रपति का निर्वाचन राष्ट्रपति की तरह ही आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के द्वारा गुप्त मतदान के द्वारा होता है। उपराष्ट्रपति चुनाव में सांसद एवं राज्यसभा और लोकसभा के मनोनीत सदस्य भी वोट डाल सकते हैं।

उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन भरने के लिए उम्मीदवार को कम-से-कम 20 सांसद बतौर प्रस्तावक और 20 सांसद बतौर समर्थक दिखाने की शर्त पूरी करनी होती है.

उम्मीदवार संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए। यदि वह सदस्य है तो पद ग्रहण की तारीख से उसका पद रिक्त समझा जाएगा।

नोट : यदि कोई सांसद चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे संसद की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा।