कौन थे स्वामी श्रद्धानंद ? Who Was Swami Shraddhanand

स्वामी श्रद्धानंद जी का जन्म 22 फरवरी 1856 को पंजाब के जालंधर जिले के तलवन में हुआ था। भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता और एक आर्य समाज संन्यासी थे जिन्होंने दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं का प्रचार किया। वर्ष 1920 के दशक में एक हिंदू सुधार आंदोलन संगठन और शुद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्हें महात्मा मुंशी राम विज के नाम से भी जाना जाता है।


सामाजिक कार्य :

वर्ष 1892 में आर्य समाज के दो गुटों में विभाजित होने के बाद  उन्होंने संगठन छोड़ दिया और पंजाब आर्य समाज का गठन किया और उन्होंने गुरुकुलों को चुना। वर्ष 1897 में, जब लाला लेख राम की हत्या हुई, श्रद्धानन्द उनके उत्तराधिकारी बने। उन्होंने "पंजाब आर्य प्रतिनिधि सभा" का नेतृत्व किया और इसकी मासिक पत्रिका "आर्य मुसाफिर" की शुरुआत की। वर्ष 1902 में उन्होंने हरिद्वार के पास कांगड़ी में एक गुरुकुल की स्थापना की। इस स्कूल को अब गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है।


राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान :

वर्ष 1917 में, महात्मा मुंशी राम ने संन्यास को "स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती" के रूप में लिया। और इसी वर्ष इन्होंने गुरुकुल छोड़ कर राष्ट्रीय आंदोलन और हिन्दू सुधार आंदोलन का हिस्सा बन गए। वर्ष 1919 के कांग्रेस अमृतसर बैठक के हिस्सा बनें। इन्होंने रोलेट एक्ट का विरोध सहित अन्य आंदोलनों के हिस्सा रहे।

स्वामी श्रद्धानंद एकमात्र हिंदू संन्यासी थे जिन्होंने नई दिल्ली के जामा मस्जिद में विशाल सभा को संबोधित किया।

वर्ष 1922 में, डॉ अम्बेडकर ने श्रद्धानंद को "अछूतों का सबसे बड़ा और सबसे ईमानदार चैंपियन" कहा। वर्ष 1923 तक उन्होंने शुद्धि आंदोलन की सुरुआत कर दी। जिस वजह से मुस्लिम समुदाय उनसे दुखी थे।


हत्या :

23 दिसंबर 1926 को अब्दुल रशीद ने उनकी हत्या कर दी थी।


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