भातीय संविधान में आपात स्थितियों से निपटने के लिए अनुच्छेद 352 से 360 में आपात उपबंध का उल्लेख किया गया है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में कुल तीन बार ऐसी ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है जिसमे इन उपबंधों का प्रयोग कर पूरे देश में आपात स्थिति घोषित किया गया है।
पहला :
भारत में पहली स्थिति वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान उत्पन्न हुई। 26 अक्टूबर 1962 से 10 जनवरी 1968 के बीच "भारत की सुरक्षा" को "बाहरी आक्रमण से खतरा" देखते हुए आपात स्थिति घोषित किया गया था।
दूसरा :
दूसरी स्थिति 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध उत्पन्न हुई थी। 3 से 17 दिसंबर 1971 के बीच दौरान आपात स्थिति घोषित की गई थी।
तीसरा :
यह सबसे विवादित स्थिति थी। वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राजनीतिक अस्थिरता की विवादास्पद परिस्थितियों में "आंतरिक अस्थिरता" के आधार पर 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच आपात स्थिति की घोषणा की थी।
25 जून की रात को ही दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित अखबारों के दफ्तरों की बिजली काट दी गई। रात को ही इंदिरा गांधी के विशेष सहायक आर के धवन के साथ बैठक कर संजय गांधी और ओम मेहता उन लोगों की लिस्ट बनाई जिंन्हे गिरफ्तार करना था।
ऐसी स्थिति क्यो उत्पन्न हुई ?
वर्ष 1971 में सम्पन्न लोकसभा चुनाव के संबंध मे 12 जून, 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर उन पर छह साल तक चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगा दिया था। और श्रीमती गांधी के प्रतिद्वंदी राजनारायण सिंह को चुनाव में विजयी घोषित कर दिया। इसी दिन गुजरात में चिमनभाई पटेल के विरुद्ध विपक्षी जनता मोर्चे को भारी विजय मिली। इस दोहरी चोट के बाद इन्दिरा गांधी ने अदालत के इस निर्णय को मानने से इनकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की घोषणा की और 26 जून को आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी गई।