विमुद्रीकरण एक ऐसी आर्थिक गतिविधि है जिसके अंतर्गत सरकार पुरानी प्रचलित मुद्रा को चलन से बाहर करने के लिए समाप्त कर देती है और नई मुद्रा को सुरु करती है। दूसरे शब्दों में कहें तो, विमुद्रीकरण में एक मुद्रा इकाई से "कानूनी निविदा (Legal tender) का दर्जा वापस ले लिया जाता है।
दुनिया में विमुद्रिकारण :
- वर्ष 1943 में नीदरलैंड के नाजी कब्जे के दौरान, 500- और 1000-गिल्डर बैंक नोटों का विमुद्रीकरण किया गया था, बाद में जब नाजी शासन समाप्त हुआ तो 100-गिल्डर नोटों को विमुद्रीकृत किया गया था।
- ब्रिटेन में दशमलव प्रणाली अपनाने के बाद वर्ष 1971 में पहली बार वर्ष 1971 में पुराने नोटो को चलन से बाहर निकाला।
- वर्ष 1984 में मुहम्मदु बुहारी की सरकार के दौरान, नाइजीरिया में पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया गया और एक नई मुद्रा पेश की गयी।
- अफ्रीकी देश घाना में वर्ष 1982 में विमुद्रीकरण किया था।
- वर्ष 2015 में जिम्बाब्वे सरकार ने जिम्बाब्वे डॉलर को अमेरिकी डॉलर से बदला।
- वर्ष 1987 में म्यांमार की सैन्य सरकार ने कालाबाजारी और तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए म्यांमार के चलन के 80% मुद्रा को अमान्य कर दिया।
- वर्ष 1991 में मिखाइल गोर्बाचेव ने 50 और 100 रूबल के नोट वापस लेने का फैसला किया। इसे वित्त मंत्री वैलेन्टिन पावलोव के नाम पर पावलोव सुधार के नाम से भी जाना जाता था।
- ऑस्ट्रेलिया ने विमुद्रीकरण किया और 1996 में सभी कागजी नोटों को प्लास्टिक मुद्रा से बदल दिया।
- पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने 2016 में काले धन पर अंकुश लगाने के लिए पुराने डिजाइन के नोटों को बंद करने का फैसला किया।
- भारत में आजादी के पहले 12 जनवरी 1946 को, आजादी के बाद 1978 और 8 नवंबर 2016 को विमुद्रिकारण किया।
विमुद्रिकारण के कारण :
जैसा कि हम इतिहास में देख सकते है कि विभिन्न देशो ने विभिन्न कारणों से विमुद्रिकारण किया। भारत सरकार ने विमुद्रिकारण के निम्न कारण बताए थे :
- काले धन/समानांतर अर्थव्यवस्था/छाया अर्थव्यवस्था के खतरे से निपटने के लिए।
- भारत में कैश सर्कुलेशन सीधे तौर पर भ्रष्टाचार से जुड़ा है इसलिए कैश ट्रांजैक्शन को कम कर भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने और कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने ले लिए।
- जाली मुद्रा के खतरे से निपटने के लिए
- आतंकवादी गतिविधियों/आतंकवादी वित्त पोषण के लिए उपयोग की जा रही नकदी पर रोक लगाने के लिए।
विमुद्रीकरण के प्रभाव
विमुद्रीकरण या नोटबंदी का गहरा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। भारत में विमुद्रिकारण की वजह से अर्थव्यवस्था में तरलता की कमी हुई, और डिजिट लेनदेन में वृद्धि हुई। विमुद्रीकरण के बाद, मांग गिर गई, व्यवसायों को संकट का सामना करना पड़ा और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर भी इसका प्रभाव हुआ।