भारत के लोगो का आधुनिक सूचना क्रांति ( कंप्यूटर का युग) के युग में योगदान - indian pioneers of modern information technology era



भारत ने हजारों वर्षों से अनेक खोज एवं अनुसंधान किये है। परंतु, हम इस पोस्ट में उन प्राचीन खोजो के बारे में बात नही करने वाले। इस पोस्ट में हम उन भारतीयों के बारे में जानेंगे जिन्होंने आधुनिक सूचना क्रांति के दौर अपना योगदान दिया :


समरेंद्र कुमार मित्रा :

इन्होंने भारत के पहले सामान्य उद्देश्य हाई स्पीड इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर का डिजाइन, विकास और निर्माण किया, जिसका नाम ISIJU कंप्यूटर (भारतीय सांख्यिकी संस्थान - जादवपुर विश्वविद्यालय कंप्यूटर) रखा गया था। मित्रा के नेतृत्व में, भारत की पहली दूसरी पीढ़ी के स्वदेशी डिजिटल कंप्यूटर का उत्पादन वर्ष 1964 में सुरु हुआ।


रंगास्वामी नरसिम्हन इन्हें भारत में कंप्यूटर विज्ञान अनुसंधान का जनक माना जाता है। इनके नेतृत्व में पहला भारतीय स्वदेशी कंप्यूटर TIFRAC विकसित किया था। इस वजह रंगास्वामी नरसिम्हन को भारत में कंप्यूटर विज्ञान के पिता (Father of computer in India) कहा जाता है। वर्ष 1975 में भारत सरकार की कंपनी CMC लिमिटेड की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे बाद में Tata Consultancy Services द्वारा खरीदा गया। वह  वर्ष 1977 में भारत सरकार से चौथे सर्वोच्च भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री के प्राप्तकर्ता थे।


विनोद धाम (Vinod Dham) एक इंजीनियर हैं। इन्हें इंटेल के पेंटियम माइक्रो-प्रोसेसर के विकास में उनके योगदान के लिए उन्हें 'पेंटियम चिप के जनक' के रूप में जाना जाता है। इंटेल (Intel) को छोड़ने के बाद धाम ने प्रतिद्वंद्वी AMD कंपनी के K6 - "पेंटियम किलर" प्रोसेसर के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


आरोग्यस्वामी पॉलराज इन्होंने MIMO (मल्टीपल इनपुट, मल्टीपल आउटपुट) एक वायरलेस तकनीक पर कार्य किया।  इस टेक्नोलॉजी ने दुनिया भर में ब्रॉडबैंड वायरलेस इंटरनेट एक्सेस में क्रांति ला दी। यह वर्तमान में सभी कम्युनिकेशन (वाईफाई और 4 जी मोबाइल) का आधार है।

नरिंदर सिंह कपनी फ्रेंग एक भारतीय-अमेरिकी भौतिक विज्ञानी थे, जिन्हें फाइबर ऑप्टिक्स का आविष्कार करने का श्रेय दिया जाता है, और उन्हें 'फाइबर ऑप्टिक्स का जनक' माना जाता है। फॉर्च्यून ने उनके नोबेल पुरस्कार-योग्य आविष्कार के लिए उन्हें सात '20वीं सदी के अनसंग नायकों' में से एक नामित किया। उन्हें 2021 में मरणोपरांत भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

अजय वी. भट्ट एक भारतीय मूल के अमेरिकी कंप्यूटर आर्किटेक्ट हैं, जिन्होंने USB (यूनिवर्सल सीरियल बस), एजीपी (एक्सेलरेटेड ग्राफिक्स पोर्ट), पीसीआई एक्सप्रेस, प्लेटफॉर्म पावर मैनेजमेंट आर्किटेक्चर और विभिन्न चिपसेट सुधारों सहित कई व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली तकनीकों को परिभाषित और विकसित किया है। 

मिर्जा फैजान एक भारतीय एयरोस्पेस वैज्ञानिक हैं जिन्होंने ग्राउंड रियलिटी इंफॉर्मेशन प्रोसेसिंग सिस्टम (GRIPS) विकसित किया है।

डॉ. रमानी ने 1983 में एक भारतीय अकादमिक नेटवर्क का प्रस्ताव रखा, और इसने ERNET परियोजना के शुभारंभ में योगदान दिया, जिसमें कई संस्थान शामिल थे जिन्होंने नेटवर्किंग में आर एंड डी टीमों का निर्माण किया। उन्होंने 1981 में एक प्रायोगिक उपग्रह-आधारित पैकेट स्विचिंग नेटवर्क के माध्यम से तीन शहरों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और 1982 में संचार के लिए कम ऊंचाई वाले भूमध्यरेखीय उपग्रह का प्रस्ताव करने वाले एक अग्रणी पेपर का सह-लेखन किया।

जगदीश चंद्र बोस वास्तव में पहले व्यक्ति थे जिन्होंने वर्ष 1895 में सार्वजनिक रूप से संचार के लिए रेडियो तरंगों के उपयोग का प्रदर्शन किया था, ठीक दो साल बाद मार्कोनी ने इंग्लैंड में इसी तरह का डेमो दिया था। Wireless communication की खोज श्रेय जगदीश चंद्र को जाता है।

अभय भूषण फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (जिस पर उन्होंने आईआईटी-कानपुर में एक छात्र के रूप में काम करना शुरू किया था) और ईमेल (Email) प्रोटोकॉल के शुरुआती संस्करणों के लेखक हैं।

विजय पाण्डुरंग भटकर, कंप्यूटर वैज्ञानिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी के नेतृत्वकर्ता तथा शिक्षाविद ने भारत के परम नामक सुपरकम्प्यूटर के विकास का नेतृत्व किया है। उन्हें भारत सरकार ने पद्मभूषण तथा पद्मश्री प्रदान किया है