सिनौली उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में नई दिल्ली से 70 किलोमीटर दूर गंगा और यमुना नदियों के दोआब में स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। यह एशिया का अब तक का सबसे बड़ा दफन स्थल है। इस जगह की खोज 2005 में हुई थी। वर्ष 2005 में एक ग्रामीण प्रभाष शर्मा को अपने खेत में प्राचीन वस्तुएं मिली थीं। इसके बाद ही एएसआइ ने खोदाई कर यहां से 106 मानव कंकाल निकाले थे।
डॉ. संजय मंजुल के नेतृत्व में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पुरातत्वविदों ने 2018 में सिनौली की खुदाई की। उन्होंने वहां 116 दफनियों की खोज की।
रथ:
इसने भारतवर्ष में खोजा गया पहला प्राचीन रथ प्रदान किया। यह रथ अब 2100 ईसा पूर्व और 1900 ईसा पूर्व के बीच का है।
यह एक ठोस पहिया रथ है, लेकिन इसमें तांबे से बना त्रिकोणीय आकार का रेडियल सुदृढीकरण होता है (एक अलग तरह का बोला जाता है), जिससे यह तेजी से आगे बढ़ने के दौरान पहियों के त्वरित टूटने से बचने के लिए, दुनिया के अन्य हिस्सों में असम्बद्ध स्पोक व्हील रथों से बेहतर होता है।
इस उन्नत रथ की तुलना में मेसोपोटामिया की पहाड़ियों की तुलना में 3,000 ईसा पूर्व और 2,500 बीसीई ठोस पहिया रथों को दुनिया के अन्य संस्कृतियों से पता चला।
वैदिक सभ्यता के साक्ष्य :
यहां से प्राप्त कब्रो में वैदिक तरीको का प्रयोग किया गया है जिससे यह प्रतीत होता है कि यह कब्रे वैदिक तरीको से बनी थी।
सिंधु घाटी सभ्यता से कोई संबंध नहीं है :
ये सभ्यता सिंधुघाटी सभ्यता से मेल नहीं खाती है क्योंकि यहां बार रथ और दो मुंह वाली तांबे की तलवार मिले है जो योद्धाओं की निशानी लगती है।