उत्तर भारत में हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद शासन का विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया तेज हो गयी। 7–8 शताब्दी में राजपूतों का उदय हुआ। उनका उत्तर भारत की राजनीति में बारहवीं सदी तक प्रभाव कायम रहा। इनके काल को ‘राजपूत काल’ के नाम से जाना जाता है।
‘राजपूत’ शब्द संस्कृत के राजपुत्र का ही अपभ्रंश है। संभवतः प्राचीन काल में इस शब्द का प्रयोग किसी जाति के रूप में न होकर राजपरिवार के सदस्यों के लिए होता था।
इस काल में उत्तर भारत में राजपूतों के प्रमुख वंशों – चौहान, परमार, गुर्जर, प्रतिहार, पाल, चंदेल, गहड़वाल आदि ने अपने राज्य स्थापित किये।
यह पेज अभी अपडेट हो रहा है ...