चटगांव विद्रोह – Chittagong armoury raid or Chittagong uprising


18 अप्रैल 1930 को भारत के महान क्रान्तिकारी सूर्य सेन के नेतृत्व में सशस्त्र भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा चटगांव (अब बांग्लादेश में) में पुलिस और सहायक बलों के शस्त्रागार पर छापा मार कर उसे लूटने का प्रयास किया गया था। इसे चटगांव शस्त्रागार छापा या चटगांव विद्रोह के नाम से जाना जाता है।


इंडियन रिपब्लिक आर्मी – IRA

मास्टर सूर्यसेन ने चटगांव से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खुद की आर्मी तैयार की थी। इसका नाम  'इंडियन रिपब्लिक आर्मी' था। इनमें लड़के व लड़कियां दोनों ही शामिल थे। फिर उन्हें हथियारों की जरूरत महसूस हुई। इसके बाद सूर्यसेन ने 18 अप्रैल 1930 की रात चटगांव के दो शस्त्रागारों को लूटने का ऐलान कर दिया।


दिसंबर 1930 में विनय बोस, बादल गुप्ता और दिनेश गुप्ता ने कलकत्ता की राइटर्स बिल्डिंग में प्रवेश किया और स्वाधीनता सेनानियों पर जुल्म ढ़हाने वाले पुलिस अधीक्षक को मौत के घाट उतार दिया। आईआरए की इस जंग में दो लड़कियों प्रीतिलता वाडेदार और कल्पना दत्त ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 


16 फरवरी 1933 को सूर्यसेन गिरफ्तार कर लिए गए और 12 जनवरी 1934 को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया।