कपिलेश्वर मंदिर समूह - Kapileshwar Temple Balod Chhattisgarh


छत्तीसगढ़ के बालोद शहर के नयापारा वार्ड में कपिलेश्वर मंदिर समूह है। इस मंदिर समूह में भगवान शिव, देवी दुर्गा, भगवान गणेश, भगवान कृष्ण, देवी संतोषी और राम जानकी को समर्पित छः मंदिर है। कपिलेश्वर  मंदिर समूह बालोद छत्तीसगढ़ - 13 वी -14 वी सदी में नागवंशी शासन काल में निर्मित है। इन मंदिरों का निर्माण पीड़ा देवल शैली में हुआ है।

भगवान शंकर को समर्पित कपिलेश्वर मंदिर इनमें बसे बड़ा मंदिर है, जिसके वजह से इन मंदिरो के समूह को कपिलेश्वर मंदिर समूह कहा जाता है। यह पूर्वाभिमुख मंदिर है। मंदिर के दोनों तरफ भगवान गणेश की 6 फीट की प्रतिमायें स्थापित है। मंदिर के द्वारशाखा के दायें और बायें तरफ गंगा यमुना और द्वारपाल की प्रतिमायें स्थापित है। 


दुसरा मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश की 6 फीट की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर का शिखर पीड़ा देवल प्रकार में निर्मित है। छत्तीसगढ़ में भगवान गणेश की अनेकों प्रतिमायें मिलती है किन्तु अधिकांश प्रतिमायें खुले में या किसी मंदिर के मंडप में स्थापित प्राप्त होती है किन्तु ऐसे मंदिर बेहद की कम प्राप्त होते है। 


क्या होता है पीड़ा देवल ?

मन्दिरों के शिखर ढालदार, आयताकार, उभरे-धंसे हुये आकार जिसको पीड़ा कहते हैं, से निर्मित है, जिसके कारण इसे पीड़ा देवल नाम से जाना जाता है।


भगवान राम का मंदिर गर्भगृह और मंडप में विभक्त है। इसमें भगवान राम की आधुनिक प्रतिमा स्थापित है।  भगवान कृष्ण और मां दुर्गा के पुराने मंदिरों में इनके आधुनिक प्रतिमायें स्थापित है। 


संतोषी माता का मंदिर इन सभी मंदिरों में सबसे छोटा है। इस मंदिर का शिखर भी पीड़ा देवल आकृति में बना हुआ है। 


मंदिरों के शिखर भाग पर नागों की आकृतियां अंकित है जिससे अनुमानित होता है कि यहां पर भी स्थानीय नागवंशी राजाओं का शासन रहा है। इनके शासन काल में ही इन मंदिरों का निर्माण माना गया है।


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