भारत का इकोनॉमिक सर्वे (आर्थ‍िक सर्वेक्षण) 2020-21 : Economic Survey Of India

आर्थिक सर्वे देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है। इस सर्वे रिपोर्ट से आधिकारिक तौर पता चलता है कि साल के दौरान आर्थिक मोर्चे पर देश का क्‍या हाल रहा। इसके अलावा सर्वे से ये भी जानकारी मिलती है कि आने वाले समय के लिए अर्थव्यवस्था में किस तरह की संभावनाएं मौजूद हैं। 


पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में पेश किया गया था। बजट के समय ही इस दस्तावेज को पेश किया जाता है। वर्ष 1964 से वित्त मंत्रालय बजट से एक दिन पहले सर्वेक्षण जारी करता आ रहा है। आर्थिक सर्वे को मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) की टीम तैयार करती है। वर्ष 2020-21 के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम हैं। 


वर्ष 2020-21 के लिए देश का इकोनॉमिक सर्वे (आर्थ‍िक सर्वेक्षण) संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार ( 29 फरवरी ) को पेश किया है। सर्वे के अनुसार इस वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी माइनस 7.7 फीसदी होगी यानी इसमें 7.7 फीसदी की गिरावट आ सकती है। भारत में इससे पहले जीडीपी में 1979-80 में सबसे अधिक 5.2 फीसदी का संकुचन हुआ था। वहीं आगामी वर्ष देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था में 'वी-शेप' की रिकवरी होगी। वित्त वर्ष 2021-22 में 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है। 


क्षेत्रवार :

वित्त वर्ष 2020-21 में कृषि क्षेत्र की विकास दर 3.4 फीसदी रह सकती है। उद्योग क्षेत्र में 8.8 और सेवा क्षेत्र में 8.6 फीसदी की गिरावट का इस वित्त वर्ष में अनुमान है।

चालू खाते का घाटा दो फीसदी पर है, जो 17 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर है।

वाणिज्यिक बैंकों का सकल एनपीए (फंसा कर्ज) 7.7 फीसदी के स्तर पर है। 

विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर का है, जो 18 माह की जरूरतों के लिए भी पर्याप्त है।


अनुमानित वृद्घि:

भारत की वास्तविक जीडीपी 2021-22 में 11.0 प्रतिशत और वर्तमान बाजार मूल्य पर 15.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। 


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