दिल्ली में लोदी वंश की स्थापना बहलोल लोदी ने वर्ष 1451मे की थी। बहलोल लोदी ने सैय्यद वंश के अखरी शासक अलाउद्दीन आलमशाह को हटा कर दिल्ली की गद्दी पर बैठा।
दिल्ली का प्रथम अफ़गान शासक परिवार लोदियों का था। फीरोज तुगलक के शासनकाल में अफ़गानों का प्रभाव बढ़ना शुरू हुआ और मलिक वीर नामक एक अफ़गान बिहार का सूबेदार नियुक्त किया गया। माना जाता है की दौलत ख़ाँ पहला अफ़गान था जिसने दिल्ली की सर्वोच्च सत्ता प्राप्त की थी।
अलाउद्दीन आलमशाह को अपने वज़ीर हमीद ख़ाँ से अनबन होने के कारण दिल्ली छोड़कर बदायूँ जाना पड़ा तथा हमीद ख़ाँ ने बहलोल लोदी को दिल्ली पर शासन करने के लिये आमंत्रित किया।
बहलोल लोदी ने दिल्ली आने के कुछ दिन बाद हमीद ख़ाँ की हत्या करवाकर वर्ष 1450 में दिल्ली प्रशासन को अपने अधिकार में कर लिया।
लोदी शासको के नाम :
- बहलोल लोदी (1451 - 1489)
- सिकंदर लोदी (1489 - 1517)
- इब्राहिम लोदी (1517 - 1526)
बहलोल लोदी
(Bahlul Lodi)
19 अप्रैल, 1451 को बहलोल ‘बहलोल शाह गाजी’ की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
सैयद वंश के अन्तिम शासक अलाउद्दीन आलमशाह ने दिल्ली का तख़्त छोड़ा, उस समय बहलोल लाहौर और सरहिन्द का सूबेदार था।
बहलोल लोदी के द्वारा "बहलोली" नामक ताँबे का सिक्का प्रचलन में लाया गया था। यह 1/40 टका के समतुल्य था।
1479 में, सुल्तान बहलोल लोधी ने जौनपुर पर स्थित शर्की वंश को हराया और उस पर कब्जा कर लिया।
बहलुल लोदी अपने दूसरे बेटे, निजाम खान (सिकंदर लोदी) को उत्तराधिकारी घोषित किया।
सिकंदर लोदी
( Sikandar Lodi )
17 जुलाई, 1489 को 'सुल्तान सिकंदर शाह' की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। उसका वास्तविक नाम निजाम खाँ था।
सिंहासन पर बैठने के उपरान्त सुल्तान ने सर्वप्रथम अपने विरोधियों में चाचा आलम ख़ाँ, ईसा ख़ाँ, आजम हुमायूं (सुल्तान का भतीजा) तथा जालरा के सरदार तातार ख़ाँ को परास्त किया। सिकन्दर लोदी ने जौनपुर को अपने अधीन करने के लिए अपने बड़े भाई 'बारबक शाह' के ख़िलाफ़ अभियान किया, जिसमें उसे पूर्ण सफलता मिली।
वर्ष 1494 में बनारस के समीप युद्ध में अन्तिम शर्की शासक हुसैनशाह शर्की को परास्त कर बिहार को दिल्ली में मिला लिया।
वर्ष 1506 में आगरा को अपनी राजधानी बनाया।
सिकंदर लोदी की मृत्यु 21 नवंबर 1517 को हो गयी। मकबरा दिल्ली मे बनाया गया।
इब्राहीम लोदी
( Ibrahim Lodi )
इब्राहीम लोदी, सिकन्दर शाह लोदी का पुत्र था। सिकन्दर शाह लोदी के निधन के बाद वह 21 नवम्बर, 1517 को आगरा के सिंहासन पर बैठाया।
इब्राहिम लोदी ने साम्राज्य के बंटवारा कर अपने छोटे भाई जलाल खान को गद्दी पर बैठा दिया। परन्तु, बाद में जलाल की हत्या करवा कर जौनपुर के साम्राज्य पर अधिकार कर लिया।
खतोली की लड़ाई (1518) में इब्राहीम लोदी राणा साँगा से हार गया। इस युद्ध में राणा साँगा ने अपना बाँया हाथ खो दिया। राणा साँगा ने चन्देरी पर अधिकार कर लिया।
लोदी वंश का पतन
21 अप्रैल, 1526 को, मुगल सम्राट बाबर के खिलाफ पानीपत की पहली लड़ाई के दौरान लोदी वंश के अन्तिम शासक इब्राहीम लोदी की मृत्यू हो गयी। इनका कब्र पानीपत मे ही स्थित है।
बाबर ने लोदी वंश को समाप्त कर भारत में मुगल साम्राज्य की निव रखी।
दिल्ली सल्तनत के 5 वंश :