बाबर - भारत में मुगल वंश के संस्थापक (Babur - Zahīr ud-Dīn Muhammad )

ज़हीरुद्दीन मुहम्मद बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी। बाबर तैमूर लंग का वंशज था। वर्ष 1526 में उसने पानीपत के मैदान में दिल्ली सल्तनत के अंतिम सुल्तान "इब्राहिम लोदी"(लोदी वंश) को परास्त कर "मुगल वंश" की नींव रखी उसने 1527 में खानवा 1528 में चंदेरी तथा 1529 में आगरा पर कब्जा किया।


जीवन :

बाबर का जन्म 14 फ़रवरी, 1483 क मध्य एशिया के वर्तमान उज़्बेकिस्तान में हुआ था। बाबर फरगाना की गद्दी पर 8 जून 1494 ई में बैठा। शासन की बागडोर सम्हालते समय बाबर की उम्र कम होने की वजह से चाचा ने बाबर को गद्दी से हटा दिया। वर्ष 1504 ई.काबुल तथा वर्ष 1507 ई में कंधार को जीता था। क़ाबुल विजय के उपरांत बाबर ने अपने पूर्वजों द्वारा धारण की गई उपाधि ‘मिर्ज़ा’ का त्याग कर नई उपाधि ‘पादशाह’ धारण की।

बाबर की मातृभाषा चग़ताई भाषा थी लेकिन फारसी में बाबर को महारत हासिल थी. उसने चगताई में बाबरनामा के नाम से अपनी जीवनी लिखी थी। बाबर को ही मुबईयान नाम की पद्द शैली का जन्मदाता भी कहते हैं।


बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध थे:

बाबर ने भारत पर पहला आक्रमण वर्ष 1519  में ‘बाजौर’ पर किया था और उसी आक्रमण में ही उसने ‘भेरा’ के किले को जीता था। 

पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 ई. को इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई। बाबर ने पहली बार तुगल्लमा युद्ध नीति का इस्तेमाल इस युद्ध में किया। उस्ताद अली और मुस्तफा बाबर के दो निशानेबाज थे, जिसने पानीपत के प्रथम युद्ध में भाग लिया था।

खनवा का युद्ध 17 मार्च 1527 ई में राणा सांगा और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई। 

चंदेरी का युद्ध 29 मार्च 1528 ई में मेदनी राय और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई और मेदनी राय युद्ध में पराजित हुए।

घाघरा का युद्ध 6 मई 1529 ई में अफगानो और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई।