ठक्कर बापा ( 29 नवंबर, 1869 - 20 जनवरी, 1951) का पुरा नाम अमृतलाल ठक्कर था। वे भारत के स्वतंत्राता संग्राम सेनानी और समाज सेवी थे। इनका जन्म 29 नवम्बर, 1869 को भावनगर (सौराष्ट्र) में हुआ था। इनके की माता का नाम मुलीबाई और पिता का नाम विठलदास ठक्कर था। अमृतलाल ठक्कर के पिताजी एक व्यवसायी थे। गन्धी जी ने इन्हे 'बापा' कहा था।
शिक्षा:
वर्ष 1886 में इन्होने मेट्रिक में टॉप किया था। वर्ष 1890 में आपने पूना से सिविल इंजीनियरिंग पास किया था। वर्ष 1890 -1900 की अवधि में अमृतलाल ठक्कर ने काठियावाड़ स्टेट में कई जगह नौकरी की थी। वर्ष 1900-1903 के दौरान पूर्वी अफ्रीका के युगांडा रेलवे में बतौर इंजिनीयर उन्होंने अपनी सेवा दी। वे सांगली स्टेट के चीफ इंजिनियर नियुक्त हुए। इसी समय आप गोपाल कृष्ण गोखले और धोंदो केशव कर्वे के सम्पर्क में आए।
स्वतंत्रता आन्दोलन और समाज सेवा :
अमृतलाल ठक्कर जब बाम्बे म्युनिसिपल्टी में आ गए। तब यहाँ कुर्ला में नौकरी के दौरान वे वहाँ की दलित बस्तियों में गए। यहाँ डिप्रेस्ड कास्ट मिशन के रामजी शिंदे के सहयोग से उन बस्तियों में आपने स्वीपर बच्चों के लिए स्कूल खोला।
वर्ष 1914 में अमृतलाल ठक्कर ने अपने नौकरी से त्याग दे दिया। वे 'सर्वेंट ऑफ़ इंडिया सोसायटी' से जुड़ कर पूरी तरह जन-सेवा में जुट गए। गोपाल कृष्ण गोखले ने उनकी मुलाकात गांधी जी से करवाई। वर्ष 1915 -16 में ठक्कर बापा ने बाम्बे के स्वीपरों के लिए को-ऑपरेटिव सोसायटी स्थापित की। इसी तरह अहमदाबाद में मजदूर बच्चों के लिए स्कूल खोला।
वर्ष 1922 -23 के अकाल में गुजरात में भीलों के बीच रिलीफ का कार्य करते हुए आपने 'भील सेवा मंडल' स्थापित किया था।
वर्ष 1930 में सिविल अवज्ञा आंदोलन दौरान वे गिरफ्तार हुए थे। ठक्कर बापा वर्ष 1934 -1937 तक 'हरिजन सेवक संघ' (अस्पृश्यता निवारण संघ) के महासचिव थे।
वर्ष 1944 में ठक्कर बापा ने 'कस्तूरबा गांधी नॅशनल मेमोरियल फण्ड' की स्थापना की। इसी वर्ष इन्होने ' गोंड सेवक संघ' (वनवासी सेवा मंडल) की स्थापना की थी। ठक्कर बापा वर्ष 1945 में 'महादेव देसाई मेमोरियल फण्ड' के महासचिव बने थे। ये संविधान सभा के सदस्य भी थे।