रोहिणी बाई परगनिहा - Rohini Bai Parganiha


रोहिणी बाई परगनिहा भारतीय स्वावतंत्रता सेनानी थी।
अविभाजित मध्यप्रदेश (वर्तमान छत्तीसगढ़) के तर्रा गांव में वर्ष 1919 में हुआ था। पिता शिवलाल प्रसाद तर्रा गाँव के बड़े मालगुज़ार थे। रोहिणी की माँ थी श्रीमती देहुती बाई। उफरा गाँव के मालगुजार बालकृष्ण परगनिहा की बहू व माधव प्रसाद परगनिहा की पत्नी बनकर रोहिणी उफरा गाँव में बारह वर्ष की उम्र में गई। माधव प्रसाद राष्ट्रीय विद्यालय में शिक्षक थे।

स्वतंत्रता संग्राम :
रोहिणी बाई परगनिहा छत्तीसगढ़ की प्रमुख महिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थी। जब पहली बार जेल गईं, तब वे 12 वर्ष की थीं। शादी के बाद रोहिणी पर विदेशी वस्तुओं की दुकान पर पिकेटिंग करने के आरोप में मुकदमा चला। चार माह की सजा हुई। दो सौ रुपए का जुर्माना साथ में। सन् 1942 के आन्दोलन में डॉ. राधाबाई के नेतृत्व में रोहिणी बाई 6 माह के लिए जेल गई थीं


कांग्रेस :
रोहिणी बाई काँग्रेस की सदस्य थी। वे सेवा दल में सेनानायक थीं। वर्ष 1933 में गाँधीजी के रायपुर आगमन होने पर रोहिणी बाई और दूसरी महिलाओं ने घर-घर जाकर रुपये इकट्ठे कर गाँधीजी को दिया था।


नोट : जन्य एवं मृत्यु संबंधित तिथि उपलब्ध नहीं है।