बम्लेश्वरी मंदिर - डोंगरगढ़ ( Dongargarh )



छत्तीसगढ़ के राजनांदगाव जिला मुख्यालय से लगभग 36 किलोमीटर की दुरी पर डोंगरगढ़ स्थित है। डोंगरगढ़ एक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहां हजारों वर्षों पुराना माँ बम्लेश्वरी का मंदिर है। 1600 सौ फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में माता के दर्शन के लिये 1000 सौ सीढ़िया चढ़नी पड़ती है। कहा जाता है कि मां बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास 2200 वर्ष पुराना हैं।

यहां माँ बम्लेश्वरी के दो मंदिर है। पहला एक हजार फीट पर स्थित है जो कि बडी बम्लेश्वरी के नाम से विख्यात है। मां बम्लेश्वरी के मंदिर मे प्रतिवर्ष नवरात्र के समय दो बार विराट मेला आयोजित किया जाता है जिसमे लाखो की संख्या मे दर्शनार्थी भाग लेते है। चारो ओर हरी-भरी पहाडियों, छोटे-बडे तालाबो एवं पश्चिम मे पनियाजोब जलाशय, उत्तर मे ढारा जलाशय तथा दक्षिण मे मडियान जलाशय से घिरा प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण स्थान है डोंगरगढ।

मेला:
पहाड़ी में स्थित बगुलामुखी (बम्लेश्वरी) मंदिर है । शारदीय एवं वासंतीय नवरात्री में भव्य मेला आयोजित किया जाता है ।

इतिहास:
डोंगरगढ़ का प्रचीन नाम कामावतीपुरी है। यहाँ प्रचीन तालाबो के अवशेष प्राप्त हुये है। लगभग 2200 वर्ष पुर्व कामावतीपुरी के राजा वीरसेन ने डोंगरगढ़ की पहाड़ी में महेश्वरी देवी का मंदिर बनवाया था यह मंदिर बम्लेश्वरी देवी के मंदिर के लिये विख्यात डोंगरगढ एक ऎतिहासिक नगरी है।
राजा वीरसेन को उज्जायिनी के राजा विक्रमादित्य के समकालीन माना जाता है। उन्होने सन्तान प्रप्ति के उपलक्ष्य में मन्दिर का निर्माण कराया था। 


प्रसाद योजना :
भारत शासन की प्रसाद योजना के तहत डोंगरगढ़ में विभिन्न विकास कार्यों एवं सौंदर्यीकरण हेतु 43 करोड़ 33 लाख रूपए स्वीकृत ( 2020 ) किया गया है।  इस परियोजना के तहत मां बम्लेश्वरी मंदिर की सीढ़ियों पर पर्यटन सुविधाएं, पार्किंग और तालाब का सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा। साथ ही श्रद्धालुओं और पर्यटको की सुविधा के लिए क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। इस योजना का मुख्य आकर्षण यहाँ  स्थापित होने वाला श्रीयंत्र होगा।