जिला दुर्ग का गठन 1 जनवरी, 1906 को रायपुर और बिलासपुर जिलों के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर किया गया था। उस समय आज के राजनंदगांव और कबीरधाम (कवर्धा) जिले भी दुर्ग जिले का हिस्सा थे। 26 जनवरी, 1973 को जिला दुर्ग को विभाजन किया गया और राजनंदगांव जिला अस्तित्व में आया। 6 जुलाई, 1998 को जिला राजनंदगांव भी विभाजित किया गया और नया कबीरधाम जिला अस्तित्व में आया। 1906 से पहले, दुर्ग रायपुर जिले का एक तहसील था। 1906 में दुर्ग जिले के गठन के समय, इसमें दुर्ग, बेमेतरा और बालोद तीन तहसीलें थी। जिला फिर से 1 जनवरी 2012 को विभाजित किया गया है और दो नए जिलें बेमेतरा और बालोद अस्तित्व में आये।
इतिहास:-
बिम्बा जी भोसले के काल में दुर्ग क्षेत्र में तीन विद्रोह हुये थे, धमधा, बरगढ़ और तारापुर।
पुरातात्विक स्थल / पर्यटन:-
- धमधा - बूढ़ेश्वर शिव मंदिर तथा चतुर्भुजी मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग जिले में धमधा नगर में स्थित है। यह स्मारक छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित है।
- नगपुरा ( Nagpura ) - छत्तीसगढ़ का एक मात्र जैन तीर्थस्थल है। यहां पार्श्वनाथ की प्रतिमा की प्रतिमा स्थापित है। उत्खनन से प्राप्त पार्श्वनाथ की प्रतिमा को जगतपाल सिंह ने स्थापित कराया था।
- देवरबिजा - प्रचीन शिव मन्दिर स्थित है।
- नागदेव मंदिर - नगपुरा दुर्ग
- शिव मंदिर - नगपुरा दुर्ग
छत्तीसगढ़ के जिलें :
सरगुजा, सूरजपुर , बलरामपुर, कोरिया, जशपुर, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाह, मुंगेली, जांजगीर-चाम्पा, रायपुर, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, बलौदाबाजार, दुर्ग, राजनांदगांव, बालोद, कवर्धा - कबीरधाम, बेमेतरा, बस्तर, दन्तेवाड़ा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, कोंडागांव।