भूपेंद्र दत्ता का जन्म 8 अक्टूबर 1892 में जसोर के ठाकुरपुर गांव (वर्तमान बांग्लादेश) में हुआ था। भूपेंद्र ने बचपन में रामायण की एक कथा से प्रभावीत हो कर जीवन भर अविवाहित रहें। ए ओ ह्यूम के नेतृत्व में 1902 में बनाई गई अनुशीलन समिति में शामिल हो कर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरु किया।
क्रांतिकारी जीवन में भूपेंद्र नाथ दत्ता ने अपने जीवन के अधिकांश साल ( 23 वर्ष ) जेल में बिताए। वे अखबारों में कॉलम लिखने के लिए भी उनको 3 साल जेल में बिताने पड़े। भूपेंद्र दत्त जेल में लगातार 78 दिनों तक भूख हड़ताल की थी जो कि एक रिकॉर्ड है। वर्ष 1947 में आजादी के बाद उन्होंने पाकिस्तान में रहना मंजूर किया और वहां पहले एमएलए फिर एमपी बने। भूपेंद्र दत्त पाकिस्तान की संविधान सभा के सदस्य भी थे।
भारत वापसी:
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की खराब हालत को लेकर भूपेंद्र दत्ता हमेशा मुखर रहे। वर्ष 1958 में पाकिस्तान में सेना का शासन लागू हो जाने के बाद उन्होंने चार साल तक सार्वजनिक जीवन में वापसी करने का इंतजार किया। इंतजार न खत्म होता देख आखिर वर्ष 1962 में उन्होंने पाकिस्तान और राजनीति को अलविदा कहा और वापस भारत आ गए।