कल्याण साय छत्तीसगढ़ के कलचुरी/ कल्चुरी शासक थे। ये अकबर के समकालीं थे, और अकबर के दरबार में करीब आठ वर्ष थे। इनके शासन काल में राजस्व पुस्तिका का उल्लेख मिलता है। जिसके द्वारा प्रशासनिक, राजस्व एवं सैन्य व्यवस्था की जनकारी मिलती है। बिलासपुर के प्रथम बन्दोबस्त अधिकारी चिशम ने इस पुस्तक को आधार मान कर कलचुरी शासन व्यवस्था पर प्रकाश डाला। इस पुस्तक के आधार पर ही रायपुर एवं रतनपुर को 18-18 गढ़ो में विभाजित किया गया है।
इनके कार्यकाल के दौरान गोपल्ला ( Gopalla / Gopala) गीत लोकप्रिय था। जिसमे कल्चुरि शासक कल्याण साय एवं गोपल्ला बिंझवार (गोपाल राय वीर) के बारे में गया जाता है। इसे देवार गीतों में भी गाया जाता है।
छत्तीसगढ़ में प्रचलित छेरछेरा तिहार ( त्योहार ) कल्याण साय के शासनकाल में सुरु हुआ था।
अर्थव्यवस्था:
कल्याण साय के समय राज्य की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी थी। इन्होने जमाबन्दी की व्यवस्था विकसित की थी। यह जमाबन्दी व्यवस्था अकबर से पहले ही विकसित किया गया था।
कल्याण साय के समय राज्य की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी थी। इन्होने जमाबन्दी की व्यवस्था विकसित की थी। यह जमाबन्दी व्यवस्था अकबर से पहले ही विकसित किया गया था।
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