पैरी नदी - Pairi river

पैरी नदी महानदी कि एक प्रमुख सहायक नदी है। पैरी नदी का उद्गम गरियाबंद जिले में मैनपुर से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित भाटिगढ़ के पहाड़ से हुआ है। इस नदी के उद्गम के पास ही कुंड एवं मन्दिर है। मन्दिर तक पहुचने के लिये करीब 255 सीढियां है।
अपने उद्गम स्थल से निकलने के बाद करीब 90 कि.मी. बहती हुई राजिम क्षेत्र में महानदी से मिलती है। पैरी नदी धमतरी और राजिम को विभाजित करती है। इसी नदी के तट पर प्रसिद्ध 'राजीवलोचन मंदिर' स्थित है। राजिम में महानदी और सोंढुर नदियों का त्रिवेणी संगम स्थल भी है।


बन्दरगाह के अवशेष:
गरियाबंद के पांडुका में पैरी नदी में ढाई हजार साल पुराने बंदरगाह के अवशेष मिले है। पांडुका सिरकट्टी के तट पर नदी के किनारे छह चैनल यानी गोदी के अवशेष साफ नजर आ रहे हैं। प्रारंभिक सर्वेक्षण के बाद पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों ने दावा किया है कि नदी के तट पर चट्टानों को काटकर जहाज खड़ा करने के लिए गोदी बनाई गई थी।
यहां से जहाज ओडिशा के कटक से होकर बंगाल की खाड़ी से चीन तक जाते थे। उस समय में छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर कोसा की पैदावर हुआ करती थी। कोसा इसी रास्ते से चायना भेजा जाता था।

सिकासार सिंचाई परियोजना:
सिकासार जलाशय / बाँध, गरियाबंद जिला मुख्यालय से 50 किमी की दुरी पर पैरी नदी में सिकासार गांव मे स्थित है। सिकासार जलाशय का निर्माण सन 1977 मे पुर्ण हुआ । सिकासार बाँध की लबाई 1540 मी. एवं बाँध की अधिकतम उंचाई 9.32 मी. है । सिकासार जलाशय मे 2X3.5 M.W. क्षमता का जल विद्युत संयंत्र स्थापित है जिससे सिचाई के साथ साथ विद्युत उत्पादन किया जाता है।

इन्हे देखें:
छत्तीसगढ़ कि प्रमुख नदियाँ