डँडारी/डंडारी नृत्य - Dandari Dance


डँडारी/डंडारी नृत्य नृत्य धुरवा जनजाति के द्वारा किया जाता है। डँडारी नृत्य मे नर्तको के साथ वादक दल भी होता है। वादक दल मे 7 से 8 व्यक्ति सिर्फ़ ढोल ही बजाते है, और केवल एक व्यक्ति तिरली वादन करता है।

बाँसुरी को ही तिरली कहा जाता है। तिरली के स्वरो को साधने लिये बहुत अनुभव की जरूरत होती है। तिरली वादक पीढियो से ये तिरली बजाने की कला एक दुसरे को सिखाते आ रहे है। तिरली से निकलती स्वर लहरिया ही नृत्य की विशिष्ट पहचान होती है।

डँडारी/डंडारी नृत्य में बांस की खपचियों से एक दुसरे से टकराकर ढोलक एवं तिरली के साथ जुगलबंदी कर नृत्य किया जाता है। यह डांडिया नृत्य से अलग है, डांडिया में जहां गोल गोल साबूत छोटी छोटी लकड़ियों से नृत्य किया जाता है। बांस की खपच्चियों को नर्तक स्थानीय धुरवा बोली में तिमि वेदरीए के नाम से जानते हैं।

प्रमुख जनजाति 

प्रमुख जनजाति नृत्य

इन्हे भी देखें :
विश्व आदिवासी दिवस
छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित अनुसूचित क्षेत्र
छत्तीसगढ़ में विशेष पिछड़ी जनजाति
विशेष पिछड़ी जनजातियों हेतु मुख्यमंत्री 11 सूत्री कार्यक्रम
अनुसूचित जनजातियों की समस्याएँ 
अनुसूचित जनजातियों की साक्षरता दर
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989