जन्म :17 सितम्बर, 1872
मृत्यु : 21 अगस्त, 1948
पिता : पण्डित बलीराव गोविंदराव लाखे
पत्नी : जानकी बाई
मृत्यु : 21 अगस्त, 1948
पिता : पण्डित बलीराव गोविंदराव लाखे
पत्नी : जानकी बाई
वामनराव बलिराम लाखे जी का जन्म 17 सितम्बर, 1872, रायपुर, छत्तीसगढ़ हुआ था। वे भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले छत्तीसगढ़ राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। 1913 में लाखे जी ने दु:खी और शोषित किसानों की सेवा हेतु अपना कार्य क्षेत्र सहकारी आंदोलन को बनाया था, जिससे वे जीवन पर्यन्त जुड़े रहे। वर्ष 1915 में रायपुर में 'होमरूल लीग' की स्थापना की गई थी। वामनराव बलिराम लाखे जी उसके संस्थापक थे। वामनराव लाखे जी ने रायपुर में एव्हीएम ( AVM School ) स्कूल की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया, 21 अगस्त, 1948 को उनकी मृत्यु के पश्चात नाम बदलकर श्री वामन राव लाखे उच्चतर माध्यमिक शाला रायपुर कर दिया गया।
शिक्षा:
वामनराव लाखे ने मैट्रिक तक की पढ़ाई रायपुर में की। पं. माधवराव सप्रे उनके सहपाठी तथा मित्र थे। वर्ष 1898 में उन्होंने नागपुर के फिलिप कॉलेज से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 1904 ई. में वकालत की पढ़ाई पूरी कर रायपुर में वकालत करने लगे। उन्होंने वकालत को जनसेवा का एक सशक्त माध्यम के जैसे इस्तेमाल किया। वे कई वर्षों तक रायपुर के अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रहे।
वामनराव लाखे ने मैट्रिक तक की पढ़ाई रायपुर में की। पं. माधवराव सप्रे उनके सहपाठी तथा मित्र थे। वर्ष 1898 में उन्होंने नागपुर के फिलिप कॉलेज से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 1904 ई. में वकालत की पढ़ाई पूरी कर रायपुर में वकालत करने लगे। उन्होंने वकालत को जनसेवा का एक सशक्त माध्यम के जैसे इस्तेमाल किया। वे कई वर्षों तक रायपुर के अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रहे।
पत्रिका :
वर्ष 1900 में माधवराव सप्रे जी ने ''छत्तीसगढ़ मित्र'' नामक हिन्दी मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया जिसके संपादक श्री लाखे जी को बनाया गया था। बाद में श्री लाखे जी इस पत्रिका-प्रकाशन में सहयोग के लिए अपना सहयोग पं. रामराव चिंचोलकर को बनाया। अंत में इस पत्रिका के प्रकाशन से भारी घाटा उठाना पड़ा। यह छत्तीसगढ़ अंचल का पहला पत्र था। इसके माध्यम से क्षेत्र में साहित्य एवं राष्ट्रीय जागरण का एक नया युग आरंभ हुआ।
वर्ष 1900 में माधवराव सप्रे जी ने ''छत्तीसगढ़ मित्र'' नामक हिन्दी मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया जिसके संपादक श्री लाखे जी को बनाया गया था। बाद में श्री लाखे जी इस पत्रिका-प्रकाशन में सहयोग के लिए अपना सहयोग पं. रामराव चिंचोलकर को बनाया। अंत में इस पत्रिका के प्रकाशन से भारी घाटा उठाना पड़ा। यह छत्तीसगढ़ अंचल का पहला पत्र था। इसके माध्यम से क्षेत्र में साहित्य एवं राष्ट्रीय जागरण का एक नया युग आरंभ हुआ।
सहकारिता:
वर्ष 1913 में लाखे जी अपना कार्यक्षेत्र सहकारी आंदोलन को बनाया। इस वजह से वामनराव लाखे को छत्तीसगढ़ अंचल में सहकारिता के जनक माना जाता है।
वर्ष 1913 में लाखे जी अपना कार्यक्षेत्र सहकारी आंदोलन को बनाया। इस वजह से वामनराव लाखे को छत्तीसगढ़ अंचल में सहकारिता के जनक माना जाता है।
लाखे जी ने सहकारिता आंदोलन के द्वारा इस अंचल के दु:खी और शोषित किसानों की सेवा तथा सहयोग करना उनका प्रमुख उद्देश्य था। वर्ष 1913 में ही उन्होंने रायपुर में "को-आपरेटिव सेन्ट्रल बैंक" की स्थापना की, जिसके वे 1936 तक अवैतनिक सचिव पद पर रहकर कठोर परिश्रम के साथ कार्य करते रहे और इस संस्था को सर्वोच्च शिखर तक पहुंचाया। वर्ष1937 से 1940 तक वे इस संस्था के अध्यक्ष पद पर रहे। वामनराव लाखे जी के प्रयास से ही 1930 में बैंक का अपना स्वयं का भवन बनाया गया।
भारत का स्वतंत्रता आंदोलन:
वर्ष 1915 में मध्य प्रदेश एवं बरार प्रांत परिषद का निर्माण हुआ और वामनराव लाखे जी ने रायपुर जिले का प्रतिनिधित्व किए। रायपुर में 1915 में ही जब होमरुल लीग की स्थापना हुई, वामनराव लाखे जी संरक्षक बनाए गए।
वर्ष 1915 में ही पं. सुंदरलाल शर्मा के नेतृत्व में विशाल किसान सम्मेलन हुआ जिसकी अध्यक्षता वामनराव लाखे जी ने की। वर्ष 1918 में गोपाल कृष्ण गोखले का रायपुर आगमन हुआ और वे श्री लाखे जी के यहां ही ठहरे थे। इसी वर्ष धमतरी में राजनैतिक परिषद की स्थापना हुई, जिसकी अध्यक्षता भी श्री लाखेजी ने की।
जलियावाला बाग हत्याकांड
1919 में जलियांवाला बाग की घटना के पश्चात धमतरी में राजनैतिक सम्मेलन हुआ, जिसमें खापरडे साहब की अगुवाई में रायपुर के नेताओं के साथ शामिल होने वालों में लाखेजी भी एक थे।
1919 में जलियांवाला बाग की घटना के पश्चात धमतरी में राजनैतिक सम्मेलन हुआ, जिसमें खापरडे साहब की अगुवाई में रायपुर के नेताओं के साथ शामिल होने वालों में लाखेजी भी एक थे।
गांधी जी का आगमन एवं असहयोग आंदोलन
सन 1920 में गांधी जी रायपुर आए। गांधीजी के रायपुर निवास की व्यवस्था के आयोजकों में लाखेजी प्रमुख थे एवं गांधी जी के साथ नागपुर में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में लाखे भी गए। सन् 1920 के असहयोग आंदोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया और अंग्रेजी शासन द्वारा 1916 में प्रदत्त ''राव साहब'' की उपाधि लौटा दी। जिसके लिए रायपुर की जनता ने गांधी चौक में आमसभा आयोजित कर श्री लाखेजी का सम्मान किया और उन्हें ''लोकप्रिय'' की उपाधि से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1922 में लाखेजी रायपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और इसी समय से उन्होंने नियमित खादी वस्त्र पहनने का संकल्प लिया। वर्ष 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा संचालित असहयोग आंदोलन से लाखेजी पुन: जुड़ गए, जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें अंग्रेजी शासन ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें एक वर्ष की सजा हुई।
सन 1920 में गांधी जी रायपुर आए। गांधीजी के रायपुर निवास की व्यवस्था के आयोजकों में लाखेजी प्रमुख थे एवं गांधी जी के साथ नागपुर में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में लाखे भी गए। सन् 1920 के असहयोग आंदोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया और अंग्रेजी शासन द्वारा 1916 में प्रदत्त ''राव साहब'' की उपाधि लौटा दी। जिसके लिए रायपुर की जनता ने गांधी चौक में आमसभा आयोजित कर श्री लाखेजी का सम्मान किया और उन्हें ''लोकप्रिय'' की उपाधि से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1922 में लाखेजी रायपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और इसी समय से उन्होंने नियमित खादी वस्त्र पहनने का संकल्प लिया। वर्ष 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा संचालित असहयोग आंदोलन से लाखेजी पुन: जुड़ गए, जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें अंग्रेजी शासन ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें एक वर्ष की सजा हुई।
वर्ष 1941 में पुन: सत्याग्रह में हिस्सा लेने के कारण चार महीने की सजा हुई। 15 अगस्त, सन 1947 की प्रथम स्वाधीनता दिवस के उपलक्ष्य में पं. वामनराव लाखे जी ने रायपुर में झण्डारोहण किया।
वर्ष 1948 ई. में वे प्रांतीय सहकारी बैंक की बैठक में शामिल होने के लिए नागपुर गए और अस्वस्थ हो गए। उपचार के दौरान ही 21 अगस्त सन् 1948 ई. को उनकी मृत्यु हो गयी।