"दहका नृत्य" या "कोल दहका नृत्य" या "कोलहाई नाच" छत्तीसगढ़ में कोल जनजति के द्वारा किया जाने वाला एक पारंपरिक नृत्य है। सरगुजा जिले में कोल जनजाति की बहुलता है।
इसमें पुरूष वादक और गायक दोनों की भूमिका निभाते है। ढोल एवं झांझ वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
लाएं सादी वेशभूषा में नाचती है और साथ - साथ गाती भी है। महिलाओं के चेहरे पर घूँघट होता है। गीतों में सवाल जवाब होते है। नृत्य करते - करते गाए सवाली गीत का जवाब पुरूष गायकों को देना होता है। कोल दहका के केन्द्र में महिलाओं का नृत्य और पुरूषों का ढोलक - वादन है। तीन से लगाकर पॉच छह तक ढ़ोलके तीव्रता से बजाई जाती है। झॉझ की
पुरूष उच्च स्वर में गीत गाते है। बीच - बीच जोर की हुंकार दे कर नृत्य की गति बढ़ाई जाती है। महिलाएं पैरों की गति के साथ हाथों की अंगुलियों को नचाते हुए नृत्य करती हैं। नृत्य करते समय कमर तक झुकती है। ढोलक की गति के साथ नृत्य की तीव्रता बढ़ती जाती है।
प्रमुख जनजाति
प्रमुख जनजाति नृत्य
इन्हे भी देखें :
विश्व आदिवासी दिवस
छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित अनुसूचित क्षेत्र
छत्तीसगढ़ में विशेष पिछड़ी जनजाति
विशेष पिछड़ी जनजातियों हेतु मुख्यमंत्री 11 सूत्री कार्यक्रम
अनुसूचित जनजातियों की समस्याएँ
अनुसूचित जनजातियों की साक्षरता दर
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989