"गेड़ी नृत्य" छत्तीसगढ़ में बस्तर की मुड़िया जनजाति का एक विशेष पारंपरिक नृत्य है। इसमे दो नर्तक टिमकी बजाते हैं और उनको घेर कर आठ से दस युवक या इससे अधिक गेंडी पर चढ़कर लय के साथ नृत्य कठिन मुद्राएं बनाते हुए नृत्य करते है। गेंडी पूरी तरह से एक संतुलन का नृत्य है।
डिटोंग:
गेंड़ी नृत्य बस्तर के मुड़िया जनजाति के युवाओं के द्वारा युवगृह घोटुल में किया जाता है। इसमे केवल पुरुष भाग लेते है। इस नृत्य को डिटोंग कहा जाता है। मुड़िया युवक इसे घोटुल से बाहर भी करते है।
गेंड़ी नृत्य बस्तर के मुड़िया जनजाति के युवाओं के द्वारा युवगृह घोटुल में किया जाता है। इसमे केवल पुरुष भाग लेते है। इस नृत्य को डिटोंग कहा जाता है। मुड़िया युवक इसे घोटुल से बाहर भी करते है।
गेंड़ी क्या होता है ?
गेंड़ी बाँस से बनाया जाता है। इसमे दो लंबे बाँसों में लगभग 1-1 फीट ऊपर आड़ा बाँस बांधा जाता है, इसे "पऊवा" कहते है। दोनों बाँस के "पऊवा" में दोनों पैर रखकर और संतुलन बनाकर चला जाता है।
गेंड़ी बाँस से बनाया जाता है। इसमे दो लंबे बाँसों में लगभग 1-1 फीट ऊपर आड़ा बाँस बांधा जाता है, इसे "पऊवा" कहते है। दोनों बाँस के "पऊवा" में दोनों पैर रखकर और संतुलन बनाकर चला जाता है।
प्रमुख जनजाति
प्रमुख जनजाति नृत्य
इन्हे भी देखें :
विश्व आदिवासी दिवस
छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित अनुसूचित क्षेत्र
छत्तीसगढ़ में विशेष पिछड़ी जनजाति
विशेष पिछड़ी जनजातियों हेतु मुख्यमंत्री 11 सूत्री कार्यक्रम
अनुसूचित जनजातियों की समस्याएँ
अनुसूचित जनजातियों की साक्षरता दर
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989