ठाकुर प्यारेलाल सिंह - Thakur Pyarelal Singh

जन्म : 21 दिसम्बर 1891
मृत्यु : 20 अक्टूबर 1954
माता : नर्मदा देवी
पिता : दीनदयाल सिंह

ठाकुर प्यारेलाल सिंह  का जन्म 21 दिसम्बर 1891 को राजनांदगांव जिले के दैहान ग्राम में हुआ था। पिता का नाम दीनदयाल सिंह तथा माता का नाम नर्मदा देवी था। शिक्षा राजनांदगांव तथा रायपुर में हुई। नागपुर तथा जबलपुर में आपने उच्च शिक्षा प्राप्त कर 1916 में वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की। ठाकुर प्यारेलाल सिंह छत्तीसगढ़ में श्रमिक आंदोलन के सूत्रधार तथा सहकारिता आंदोलन के प्रणेता थे।


आजादी की लड़ाई में योगदान :
1906 में बंगाल के क्रांतिकारियों के संपर्क में आकर क्रांतिकारी साहित्य के प्रचार आरंभ किया और विद्यार्थियों को संगठित कर जुलूस निकलवाते थे। वर्ष 1909 में, राजनांदगांव में सरस्वती पुस्तकालय की स्थापना की। 1920 में छत्तीसगढ़ में प्रथम मिल मजदूर आंदोलन की अगुवाई की, राजनांदगांव में मिल-मालिकों के शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई, जिसमें मजदूरों की जीत हुई।

1925 से आप रायपुर में निवास करने लगे। आपने छत्तीसगढ़ में शराब की दुकानों में पिकेटिंग, हिन्दू-मुस्लिम एकता, नमक कानून तोड़ना, दलित उत्थान जैसे अनेक कार्यो का संचालन किया। देश सेवा करते हुए आप अनेक बार जेल गए। मनोबल तोड़ने के लिए आपके घर छापा मारकर सारा सामान कुर्क कर दिया गया।

>> छत्तीसगढ़ में श्रमिक आंदोलन

राजनीति:
राजनैतिक झंझावातों के बीच 1937 में रायपुर नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गए। 1945 में छत्तीसगढ़ के बुनकरों को संगठित करने के लिए आपके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ बुनकर सहकारी संघ की स्थापना हुई। प्रवासी छत्तीसगढ़ियों को शोषण एवं अत्याचार से मुक्त कराने की दिशा में भी सक्रिय रहे।
वैचारिक मतभेदों के कारण सत्ता पक्ष को छोड़कर आप आचार्य कृपलानी की किसान मजदूर पार्टी में शामिल हुए। 1952 में रायपुर से विधानसभा के लिए चुने गए तथा विरोधी दल के नेता बने।


पृथक छत्तीसगढ़ :
वर्ष 1947 में ठा. प्यारेलाल सिंह ने "छत्तीसगढ़ शोषण विरोधी संघ" की। इस संघ ने छत्तीसगढ़ राज्य की अवधारणा को विकसित करने का कार्य किया। इस संगठन ने भाटापारा नगरपालिका कमेटी के चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े किये तथा सफलता भी प्राप्त की। इस संघ के साथ अन्य जननेताओं के मिलने से छत्तीसगढ़ राज्य स्थापित करने के लिए वैचारिक आंदोलन की सुरुआत हुई। यह पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण हेतु प्रथम संगठन था।



भूदान आन्दोलन:
विनोबा भावे के भूदान एवं सर्वोदय आंदोलन को छत्तीसगढ़ में विस्तारित किया। 20 अक्टूबर 1954 को भूदान यात्रा के समय अस्वस्थ हो जाने से ठाकुर प्यारेलाल जी का निधन हो गया। छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में सहकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए ठाकुर प्यारेलाल सिंह सम्मान स्थापित किया है।