गृह मामलों के मंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) बिल, 2019 पेश किया। 11 दिसंबर, 2019 को राज्यसभा में पारित कर 'नागरिकता संशोधन अधिनियम ' ( CAA ) बना दिया गया। 12 दिसम्बर को राजपत्र में प्रकाशित किया गया। नागरिकता संशोधन अधिनियम ' ( CAA ) की अधिकारिक अधिसूचना 10 जनवरी 2020 को जारी किया गया।
यह बिल नागरिकता एक्ट, 1955 में संशोधन करता है।
उत्तरपूर्व के जनजातीय इलाको में इसे लागू नहीं किया जाएगा।
यह बिल नागरिकता एक्ट, 1955 में संशोधन करता है।
उत्तरपूर्व के जनजातीय इलाको में इसे लागू नहीं किया जाएगा।
बिल इस एक्ट में संशोधन करता है और कहता है कि 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में दाखिल होने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोगों के साथ अवैध प्रवासियों के तौर पर व्यवहार नहीं किया जाएगा।
नागरिकता संशोधन अधिनियम ' ( CAA ) के अंतर्गत
, 11 मार्च 2024 को, गृह मंत्री अमित शाह द्वारा अधिसूचित करने की घोषणा के बाद, गृह मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों की घोषणा की। इसके बाद, 15 मई 2024 को, 14 प्रवासियों के पहले समूह ने दिल्ली में CAA के अंतर्गत "भारतीय नागरिकता" प्रमाण पत्र प्राप्त किया.
पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा नागरिकता:
एक्ट कुछ शर्तों को पूरा करने वाले व्यक्ति को पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा नागरिकता का आवेदन करने की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए अगर व्यक्ति भारत में एक साल से रह रहा है और उसके माता-पिता में से कोई एक पूर्व भारतीय नागरिक है, तो वह पंजीकरण द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है।
एक्ट कुछ शर्तों को पूरा करने वाले व्यक्ति को पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा नागरिकता का आवेदन करने की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए अगर व्यक्ति भारत में एक साल से रह रहा है और उसके माता-पिता में से कोई एक पूर्व भारतीय नागरिक है, तो वह पंजीकरण द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है।
देशीयकरण द्वारा नागरिकता हासिल करने के लिए व्यक्ति की योग्यता यह है कि वह नागरिकता का आवेदन करने से पहले कम से कम 11 वर्षों तक भारत में रहा हो या केंद्र सरकार की नौकरी में हो।
बिल अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोगों को इस शर्त में कुछ छूट देता है। इन लोगों के लिए 11 वर्ष की शर्त को कम करके पांच वर्ष कर दिया गया है।
ओसीआईज़(OCIJ) के पंजीकरण को रद्द करना:
एक्ट कहता है कि केंद्र सरकार कुछ आधार पर ओसीआई के पंजीकरण को रद्द कर सकती है।
एक्ट कहता है कि केंद्र सरकार कुछ आधार पर ओसीआई के पंजीकरण को रद्द कर सकती है।
इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- अगर ओसीआई ने धोखाधड़ी से पंजीकरण कराया है।
- पंजीकरण से पांच वर्ष के दौरान उसे दो वर्ष या उससे अधिक समय के लिए कारावास की सजा सुनाई गई हो।
- यह भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के हित के लिए आवश्यक हो।
बिल पंजीकरण को रद्द करने का एक और आधार प्रदान करता है। वह यह कि अगर ओसीआई ने एक्ट के किसी प्रावधान या देश में लागू किसी कानून का उल्लंघन किया हो। ओसीआई को रद्द करने का आदेश तब तक मंजूर नहीं किया जाएगा, जब तक ओसीआई कार्डहोल्डर को सुनवाई का मौका न दिया जाए।
जेपीसी :
नागरिकता संशोधन विधेयक(CAB) को संसद ने वर्ष 2016 में जेपीसी के पास भेजा था। इस संसदीय समिति में लोकसभा से 19 और राज्यसभा से 9 सदस्य शामिल थे। साथ ही आईबी और रॉ (RAW) के प्रतिनिधियों को भी इसमें शामिल किया गया था। समिति के अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल थे, जिन्होंने जेपीसी की रिपोर्ट को 7 जनवरी, 2019 को संसद में पेश किया था।
इन्हें भी देखें
NPR क्या है ?
NRC क्या है ?
जेपीसी :
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