डॉ. नरेंद्र देव वर्मा - Dr. Narendra Dev Varma

जन्म: 4 नवम्बर 1939
निधन: 8 सितम्बर 1979
उपनाम: कातिब रायपुरी

इनके पिता का नाम श्री धनीराम वर्मा थे। नरेंद्र जी के 4 भाई थे। वे छत्तीसगढ़ी भाषा-अस्मिता की पहचान बनाने वाले गंभीर कवि थे। उन्होंने ‘‘छत्तीसगढ़ी भाषा व साहित्य का उद्भव विकास‘‘ में रविशंकर विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।

शिक्षा : डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ने सागर विश्वविद्यालय से एम.ए.(MA) की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा 1966 में प्रयोगवादी काव्य और साहित्य चिंतन शोध प्रबंध के लिए उन्हें पी.एच.डी. की उपाधि प्रदान की गई। उन्होंने 1973 दूसरी बार में पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा इसी वर्ष ‘‘छत्तीसगढ़ी भाषा का उद्भव विकास‘‘ विषय पर शोध प्रबंध के आधार पर उन्हें भाषा विज्ञान में भी पी.एच.डी. की उपाधि दी गई।

डॉ. नरेंद्र देव वर्मा जी कवि नाटककार, उपन्यासकार, कथाकार, समीक्षक एवं भाषाविद थे। ‘अपूर्वा’ इनका छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह है। इसके अलावा सुबह की तलाश (हिन्दी उपन्यास), छत्तीसगढ़ी भाषा का उद्विकास, हिन्दी स्वछंदवाद प्रयोगवादी, नयी कविता सिद्धांत एवं सृजन, हिन्दी नव स्वछंदवाद आदि प्रकाशित ग्रंथ हैं। इनका ‘मोला गुरू बनई लेते’ छत्तीसगढ़ प्रहसन अत्यन्त लोकप्रिय हुआ।
इनके द्वारा लिखे गए गीत "अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार" को वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ का राज्यगीत बनाया गया है। जिसकी घोषणा 3 नवम्बर को मुख्यमंत्री भुपेश बधेल जी ने किया और 18 नवम्बर 2019 को अधिसूचना प्रकशित किया गया।



गीत:
‘अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार,
इनदरावती हा पखारे तोर पइयां,
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मइयां .’