कोरिया जिले के भरतपुर तहसील के जनकपुर में सीतामढ़ी हरचौका स्थित है। यह मवाई नदी के तट पर स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। यहां एक प्राकृतिक गुफा स्थित है।
रामायण काल
मान्यता है कि भगवान श्री राम जब वनवास के लिए निकले थे तब यहां रुके थे। यहीं से प्रवेश हुआ था। यहां शिलाखंड मौजूद है जिसे लोग भगवान श्री राम के पद चिह्न मान कर पूजा करते है।
हरचौका: मवाई नदी के तट पर स्थित गुफा को काट कर 17 कक्ष बनाये गए है। जिनमे शिवलिंग स्थापित है। इस स्थान को हरचौका ( रसोई ) के नाम से जाना जाता है।
घाघरा: हरचौका से निकल कर रापा नदी के तट पर सीतामढ़ी घाघरा पहुंचे, माना जाता है। यहाँ नदी तट से करीब 20 फिट ऊपर 4 कक्षो वाली गुफा मौजूद है जिसके बीच में शिवलिंग स्थापित है।
घाघरा: हरचौका से निकल कर रापा नदी के तट पर सीतामढ़ी घाघरा पहुंचे, माना जाता है। यहाँ नदी तट से करीब 20 फिट ऊपर 4 कक्षो वाली गुफा मौजूद है जिसके बीच में शिवलिंग स्थापित है।
भगवान श्री राम घाघरा से निकल कर कोटाडोला पहुचे थे। कोटाडोला अम्बिकापुर के पास स्थित है। यहां से अशोक के सिंह स्तंभ प्राप्त हुए है।
कोटडोला से नेउर नदी के तट पर स्थित सीतामढ़ी छतौड़ा आश्रम पहुंचे यहाँ भी एक प्रकृतिक् गुफा है जिसे "शिद्ध बाबा आश्रम" के नाम से जाना जाता है। यहाँ से निकल कर अमृतधारा जलप्रपात के पास स्थित गुफा में महर्षि विश्रवा से भेंट किया।
कोटडोला से नेउर नदी के तट पर स्थित सीतामढ़ी छतौड़ा आश्रम पहुंचे यहाँ भी एक प्रकृतिक् गुफा है जिसे "शिद्ध बाबा आश्रम" के नाम से जाना जाता है। यहाँ से निकल कर अमृतधारा जलप्रपात के पास स्थित गुफा में महर्षि विश्रवा से भेंट किया।