डीपाडीह बलरामपुर जिले में स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। यह अम्बिकापुर से कुसमी मार्ग पर 75 कि.मी. दूरी पर स्थित है। यहां 8वीं से 14वीं शताब्दी के शैव एवं शाक्य संप्रदाय के पुरातात्विक अवशेष देखने को मिलते हैं। वर्ष 1986 में यहाँ उत्खनन कार्य सुरु हुआ था।
डीपाडीह के आसपास अनेक शिव मंदिरो के प्रमाण मिलते है। यहां अनेक शिवलिंग, नदी तथा देवी दुर्गा की कलात्मक मूर्ति स्थित है। इस मंदिर के खंभों पर भगवान विष्णु, कुबेर, कार्तिकेय तथा अनेक देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियां दर्शनीय हैं। देवी प्रतिमाओं में एक विशिष्ट मूर्ति महिषासुर मर्दिनी की है। देवी-चामुंडा की अनेक प्रतिमाएं हैं।
उरांव टोला स्थित शिव मंदिर अत्यंत कलात्मक है। शिव मंदिर के जंघा बाह्य भित्तियों में सर्प, मयूर, बंदर, हंस एवं मैथुनी मूर्तियां उत्कीर्ण हैं।
सावंत सरना परिसर में पंचायन शैली में निर्मित शिव मंदिर है। इस मंदिर के भित्तियों पर आकर्षक ज्यामितिय अलंकरण हैं। मंदिर का प्रवेष द्वार गजभिषेकिय लक्ष्मी की प्रतिमा से सुशोभित है। उमा-महेश्वर की आलिंगरत प्रतिमा दर्शनीय है। इस स्थान पर रानी पोखरा, बोरजो टीला, सेमल टीला, आमा टीला आदि के कलात्मक भग्नावशेष दर्शनीय हैं। डीपाडीह की मैथुनी मूर्तियां खजुराहो शैली की बनी हुयी है।
सुर्य मन्दिर:
सरगुजा के डीपाडीह के बोरजा टीले के नीचे से विशाल सूर्य मंदिर के अवशेष मिले। यहीं सूर्य की प्रतिमा मिली है जो खंडित है, लेकिन उसके शरीर का आकार, बचे हुए कुंडल, एक चक्र, घोड़े, सारथी सभी बताते हैं कि यह कभी भव्य रही होगी।
Source : https://balrampur.gov.in/hi/रुचि-के-स्थान/
डीपाडीह के आसपास अनेक शिव मंदिरो के प्रमाण मिलते है। यहां अनेक शिवलिंग, नदी तथा देवी दुर्गा की कलात्मक मूर्ति स्थित है। इस मंदिर के खंभों पर भगवान विष्णु, कुबेर, कार्तिकेय तथा अनेक देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियां दर्शनीय हैं। देवी प्रतिमाओं में एक विशिष्ट मूर्ति महिषासुर मर्दिनी की है। देवी-चामुंडा की अनेक प्रतिमाएं हैं।
उरांव टोला स्थित शिव मंदिर अत्यंत कलात्मक है। शिव मंदिर के जंघा बाह्य भित्तियों में सर्प, मयूर, बंदर, हंस एवं मैथुनी मूर्तियां उत्कीर्ण हैं।
सावंत सरना परिसर में पंचायन शैली में निर्मित शिव मंदिर है। इस मंदिर के भित्तियों पर आकर्षक ज्यामितिय अलंकरण हैं। मंदिर का प्रवेष द्वार गजभिषेकिय लक्ष्मी की प्रतिमा से सुशोभित है। उमा-महेश्वर की आलिंगरत प्रतिमा दर्शनीय है। इस स्थान पर रानी पोखरा, बोरजो टीला, सेमल टीला, आमा टीला आदि के कलात्मक भग्नावशेष दर्शनीय हैं। डीपाडीह की मैथुनी मूर्तियां खजुराहो शैली की बनी हुयी है।
सुर्य मन्दिर:
सरगुजा के डीपाडीह के बोरजा टीले के नीचे से विशाल सूर्य मंदिर के अवशेष मिले। यहीं सूर्य की प्रतिमा मिली है जो खंडित है, लेकिन उसके शरीर का आकार, बचे हुए कुंडल, एक चक्र, घोड़े, सारथी सभी बताते हैं कि यह कभी भव्य रही होगी।
दर्शनीय स्थल
उरांव टोला शिव मंदिर, सावंत सरना प्रवेश द्वार, महिषासुर मर्दिनी की विशिष्ट मूर्ति, पंचायतन शैली शिव मंदिर, गजाभिषेकित की लक्ष्मी मूर्ति, उमा-महेश्वर की आलिंगनरत मूर्ति, भगवान विष्णु, कुबेर, कार्तिकेय आदि की कलात्मक मूर्तियां।Source : https://balrampur.gov.in/hi/रुचि-के-स्थान/