छत्तीसगढ़ के पर्वत, पठार, पाट एवं मैदान


छत्तीसगढ़ को धरातलीय संरचना के आधार पर 4 भागो में बांटा गया है।
1. पर्वत
2. पठार
3. पाट
4. मैदान

पर्वत

चांगभखार देवगढ़ की पहाड़ियाँ:
विस्तार - कोरिया, सरगुजा, सूरजपुर
ऊंची चोटी - देवगढ़ ( 1033 मी.)
विशेष - चांगभखार देवगढ़ पूर्वी बघेलखण्ड पठार का ही भाग है। कैमूर पर्वत इसका ही भाग है। इन पहाड़ियों से ही हसदो नदी का उद्गम होता है।

छुरी उदयपुर की पहाड़ियाँ:
विस्तार - सूरजपुर, सरगुजा, कोरबा, रायगढ़
विशेष - यह भी पूर्वी बघेलखण्ड का भाग है। इसे मांड नदी उत्तर से दक्षिण दो भागों में विभाजित करती है।

मैकल पर्वत श्रेणी:
विस्तार - राजनांदगांव, कवर्धा, मुंगेली, बिलासपुर
ऊंची चोटी - बदरगढ़ ( 1176 मी.)
अन्य चोटियां - लीलवनी, सोनभद्र, देवसानी
विशेष - यह सतपुड़ा पर्वत का पश्चिमी विस्तार है। यह पर्वत श्रेणी नर्मदा एवं महानदी प्रवाह प्रणाली को विभाजित करती है। बदरगढ़ छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी है।

अबूझमाड़ की पहाड़ियाँ:
विस्तार - नारायणपुर, बीजापुर, कोंडागाँव
विशेष - यह छत्तीसगढ़ का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान है।

बैलाडीला:
विस्तार - दंतेवाड़ा
ऊंची चोटी - नंदिराज ( 1210 मी.)
विशेष - यहाँ प्रदेश का सर्वोच्च किस्म का लौह अयस्क पाया जाता है।

रावघाट:
विस्तार - कांकेर, नारायणपुर
विशेष - यहाँ भी लौह अयस्क क्षेत्र है। इस स्थान को दल्लीराजहरा-रावघाट रेलमार्ग से जोड़ा गया है।

अरिडोंगरी की पहाड़ी:
विस्तार - कांकेर

दल्लीराजहरा, डांडिलोहरा:
विस्तार - बालोद
विशेष - दल्लीराजहरा से भिलाई इस्पात संयंत्र को लौह अयस्क की आपूर्ति की जाती है।

कुलझारी:
विस्तार - राजनांदगांव
विशेष - बाघ नदी का उद्गम होता है।

शिशुपाल पर्वत:
विस्तार - महासमुंद
ऊंची चोटी - धारिडोंगरी ( 899 मी.)

सिहावा पर्वत:
विस्तार - धमतरी
विशेष - महानदी का उद्गम।

फटका पहाड़:
विस्तार - कोरबा ( बालको )
विशेष - यहाँ से बाक्साइट प्राप्त होता है। यहां से BALCO को बाक्साइट की आपूर्ति की जाती है।

पठार
पेंड्रा लोरमी का पठार:
विस्तार - पेंड्रा, लोरमी, कटघोरा, पंडरिया
ऊंची चोटी - पलमा चोटी ( बिलासपुर  - 1080 मी.)
विशेष - यह छत्तीसगढ़ के उत्तर-पश्चिमी सीमा में स्थित है।
नदी - मुंगेली जिले के लोरमी पठार के सिंहावल से मनियारी नदी का उद्गम होता है।

दंडकारण्य का पठार:
विस्तार - कांकेर, जगदलपुर, कोंडागाँव, बीजपुर, दंतेवाड़ा
विशेष - यह पठार खनिज संपदा से सम्पन्न है। इंद्रावती तथा साबरी मुख्य नदी है।

दुर्ग उच्च भूमि:
विस्तार - बालोद, राजनांदगांव

धमतरी महासमुंद उच्च भूमि:
विस्तार - धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद

पाट
मैनपाट:
विस्तार - यह राज्य के उत्तर मध्य क्षेत्र में सरगुजा जिले के अम्बिकापुर से सीतापुर तक
विशेष -

  • छत्तीसगढ़ का शिमला।
  • माण्ड नदी का उद्गम।
  • सरभंजा जलप्रपात।
  • 1962 से तिब्बतियों का शरणार्थी स्थल।
  • 2007 से सैनिक स्कूल।
  • चाय की खेती।
  • आलू अनुसंधान।
  • बाक्साइट अयस्क पाया जाता है।

जारंग पाट : 
विस्तार - सीतापुर से लुंड्रा ( सरगुजा )

लहसन पाट:
विस्तार - बलरामपुर

सामरी पाट:
विस्तार - बलरामपुर
ऊंची चोटी - गौरलाटा ( 1225 मी.)
विशेष - यह राज्य का साबसे ऊंचा पठार है।

जमीरा पाट:
विस्तार - कुसमी ( बलरामपुर )

पंडरा पाट:
विस्तार - बगीचा ( जशपुर )
विशेष -

  • यह राज्य का साबसे बड़ा पाट प्रदेश है।
  • राजपुरी जलप्रपात।
  • खुरजा पहाड़ी से ईब तथा बखौना पहाड़ी से कन्हार नदी का उद्गम।
  • चाय, इलायची का उत्पादन।

मैदान
रिहंद बेसिन या सिंगरौली बेसिन - वाड्रफ नगर ( बलरामपुर)
कन्हार बेसिन - रामानुजगंज (बलरामपुर)
सरगुजा बेसिन - सरगुजा, सूरजपुर
हसदेव रामपुर बेसिन - कोरिया, कोरबा, बिलासपुर
कोरबा बेसिन - कोरबा
रायगढ़ बेसिन - रायगढ़
कोटरी बेसिन - राजनांदगांव का मोहला तहसील, कांकेर का पंखाजूर व भानुप्रतापुर तहसील
बिलासपुर-रायगढ़ मैदान - बिलासपुर, मुंगेली, रायगढ़, जांजगीर-चाँम्पा
दुर्ग-रायगढ़ का मैदान - दुर्ग, कवर्धा, राजनांदगांव, बेमेतरा, बालोद,  बलौदाबाजार, महासमुंद
बस्तर या इंद्रावती का मैदान - बीजपुर व सुकमा

घाटी
केशकाल घाटी:
यह कोंडागाँव जिले में स्थित है। इसे बस्तर का प्रवेश द्वार एवं फूलों की घाटी कहा जाता है। यहां सर्वोत्तम किस्म के साल वृक्ष पाये जाते है।

खुरसेल घाटी:
यह नारायणपुर जिले में स्थित है। यहाँ सर्वोत्तम किस्म के सागौन वृक्ष पाये जाते है।

चिल्फी व ब्रजवानी घाटी:
यह कवर्धा जिले में स्थित हिल स्टेशन है। इसे मैकल की रानी भी कहा जाता है।



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