बारनवापारा (वारनवापारा) अभ्यारण्य रायपर से 70 कि.मी. दूर (रायपुर-संबलपुर मार्ग पर ) बलौदाबाजार जिला में स्थित है। अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 244.66 वर्ग किमी. है। अभयारण्य की स्थापना वर्ष 1976 में हुई। इस अभ्यारण्य का नाम बारनवापारा गांव के नाम पर पड़ा है। बलमदेही नदी एवं जोंक नदी अभ्यारण्य से होकर बहती है। इस अभ्यारण्य में 22 वनग्राम है।
दर्शनीय स्थान :
तुरतुरिया- यह स्थान के सीमा पर स्थित है, यहां एक राम मंदिर है जहां से एक कुण्ड में झरना गिरता है जिससे तुरतुर की आवाज आती है। इसी आवाज के नाम पर इस स्थान का नामांकरण किया गया है। लोग यहां पूजा करने आते है।
देवधारा- देवपुर से 2 कि.मी. की दूरी पर यह जलप्रपात स्थित है। बांस एवं मिश्रित वन से घिरा यह स्थान बहोत ही मनोरम है। यहां पर्यटक पिकनीक मनाने आते है।
छाता पहाड़- महराजी से 1 कि.मी. दूर स्थित है। इस स्थान पर एक बड़ा सा पत्थर है जहां संत श्री गुरूघासीदास जी को ज्ञान प्राप्त हुआ था। जो कोई भी पर्यटक / श्रद्धालु गिरौदपुरी आता है वह इस स्थान का दर्शन अवश्य करता है।
मातागढ- तुरतुरीया से 2 कि.मी. दूर यह स्थान है। पर्यटक को यहा पहुंचने के लिए पैदल पहाडी पर चढ़ना पड़ता है। पहाडी के उपर देवी माता का एक मंदिर है। पौष पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते है।
तेलईधारा- बारनवापारा से 10 कि.मी. दूर यह मनोरम जलप्रपात है। यह स्थान बांस एवं साल के वन से घिरा हुआ है
कुरूपाठ- सोनाखान से 2 कि.मी. की दूरी पर यह स्थान स्थित है। यह एक पूजनीय स्थान है जहां लोग कुरूपाठ देव की पूजा करते है। इस स्थान पर पहुंचने के लिए एक 1 कि.मी. पैदल चलना पड़ता है।
देवपुर पहाड़ी- देवपुर से लगी इस पहाडी के उपर तक का रास्ता 6 कि.मी. लंबा है। पर्यटक यहां के घुमावदार सडक साल सागौन, एवं बांस के वन का आनंद ले सकते है। पहाडी के उपर से देवपुर ग्राम स्थित है।
सिद्धखोल- देवपुर से 12 कि.मी. की दूरी पर यह जलप्रपात स्थित है। यह मिश्रित वनों से घिरा हुआ है। जलप्रपात के पास ही एक मंदिर है जहां लोग दर्शन करते है।
अन्य अभयारण्य: