बादलखोल अभयारण्य छत्तीसगढ़ राज्य के जशपुर जिले में स्थित है। यह जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह आरक्षित वनखण्ड पूर्व में जशपुर महाराज का शिकारगाह था। बादलखोल अभ्यारण्य कुल 32 वनकक्षों का है, जिसका कुल क्षेत्रफल 104.454 वर्ग किलोमीटर है। अभ्यारण्य का संपूर्ण क्षेत्र ईब एवं डोड़की नदी का जलागम क्षेत्र है। यह अभ्यारण्य 1975 में बनाया गया था।
इस अभ्यारण्य में 4 वनग्राम है जिसमें करीब 118 परिवार निवास करते है। वनग्राम में 90 प्रतिशत लोगा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के है।
इस अभ्यारण्य में मुख्यतः साल एवं मिश्रित प्रकार के वन है जिसमें साजा, धावडा, सलई, बीजा, खम्हार, हल्दू, अर्जुन, महुहा, तेन्दू, आंवला, चार, तिनसा, कर्रा, लेण्डिया आदि के पौधे पाये जाते है।
औषधिय पौधे- सतावर, तिखरु, काली/सफेद मूसली, रामदातुन, चिरायता प्रचुर मात्रा में मिलती है।
इस अभ्यारण्य में तेन्दूआ, चितल, कोटरी, जंगली सुअर, जंगली बिल्ली, भालू, लकड बग्घा, सियार, सेही, खरगोश, गोह, मोर आदि वन्यप्राणी पाये जाते है। इस अभ्यारण्य में बिहार एवं उडीसा से आने वाले हाथियों के झुण्ड इस वनक्षेत्र को कोरिडोर के रूप में इस्तेमाल करते है।
दर्शनीय स्थल:
बेने जलप्रपात- नारायणपुर से 15 कि.मी. दूर ईब नदी पर स्थित है।
गुल्लू जलप्रपात- नारायणपुर से 12 कि.मी. दूर ईब नदी पर स्थित है।
छुरी जलप्रपात- नारायणपुर से 11 कि.मी. दूर ईब नदी पर स्थित है।
कैलाश गुफा- अम्बिकापुर नगर से पूर्व दिशा में 60 कि.मी. पर स्थित सामरबार नामक स्थान है, जहॉं पर प्राकृतिक वन सुषमा के बीच कैलाश गुफा स्थित है। इसे परम पूज्य संत रामेश्वर गहिरा गुरू जी ने पहाड़ी चट्टानों को तराश कर निर्मित करवाया है। इस गुफा में शिव-पार्वती मंदिर बाघमाडा एवं अनेक लोक देवी-देवता के स्थान है। यहॉं महीने में शिव भक्त कावरियों द्वारा जलाभिषेक किया जाता है यहॉं प्रतिदिन सैकडों की संख्या में गहिरा गुरू जी के अनुयायी पूजा-अर्चना हेतु आते है। महाशिवरात्रि पर विशाल मेला लगता है।
अन्य अभयारण्य:
बारनवापारा अभयारण्य
भोरमदेव अभयारण्य
तमोर पिंगला अभयारण्य
बादलखोल अभयारण्य
पामेड वन्यजीव अभयारण्य
भैरमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
गोमर्दा/गोमर्डा अभयारण्य
सेमरसोत अभयारण्य
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