राजिम कुंभ/कुम्भ/राजिम कुंभ कल्प (राजिम पुन्नी महोत्सव)/ राजिम माघी पुन्नी मेला छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले के राजिम में राजीव लोचन मंदिर के निकट महानदी, पैरी और सोंढूर नदी के संगम पर प्रतिवर्ष मांघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि ( फरवरी-मार्च ) तक 15 दिनों के लिए आयोजित किया जाता है। संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव जी का मंदिर है। इस कुंभ मेले में भारत और विदेशों के विभिन्न हिस्सों के हजारों भक्त और संत शामिल होते है।
यहां पंचकोशी यात्रा में श्रद्धालु पटेश्वर, फिंगेश्वर, ब्रम्हनेश्वर, कोपेश्वर तथा चम्पेश्वर नाथ के पैदल करीब 110 किलोमीटर का भ्रमण कर दर्शन करते है।
राजिम कुंभ को इसका वर्तमान स्वरूप 2005 में प्राप्त हुआ जब छत्तीसगढ़ सरकार ने इस क्षेत्र में ध्यान दिया। इससे पहले यहां 2001 से "राजीव लोचन महोत्सव" का आयोजन किया जाता था। इसी महोत्सव को कुंभ के रूप में विकसित किया गया।
राजिम कुंभ 2018
कुंभ का आयोजन मांघ पूर्णिमा 31 जनवरी 2018 से फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी, महाशिवरात्रि तक आयोजित हुआ। कुंभ में 7 फरवरी से 13 फरवरी तक संत समागम हुआ।
ढाई लाख दीप
तेरहवां राजिम कुंभ कल्प मेला इस बार 7 फरवरी को संत समागम पर संतों के स्वागत में ढाई लाख मिट्टी के दीप प्रज्ज्वलित किया गया।
1500 शंखों का महानाद
कुंभ कल्प में 8 फरवरी को सामूहिक शंखनाद किया गया। इसमें 1500 शंख सामूहिक शंखनाद किया गया।
नाम परिवर्तन :
3 जनवरी 2018 को दुर्ग में सभा के दौरान मंच से मंत्री ताम्रध्वज साहू ने शंकाराचार्य की मौजूदगी में मंत्री ताम्रध्वज साहू ने "राजिम कुंभ" का नाम "राजिम पुन्नी महोत्सव" करने की घोषणा की। ताम्रध्वज साहू ने कहा कि राजिम कुंभ के बजाय पुन्नी महोत्वसव छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति और कला को और समृद्ध करेगा।
2022 : 16 फरवरी से 1 मार्च महाशिवरात्रि तक।