तांदुला जलाशय (कॉम्प्लेक्स परियोजना) - बालोद

तांदुला जलाशय तांदुला नदी और सूखा नाला के संगम पर बालोद जिले में स्थित प्रदेश का प्रथम नदी परियोजना है। तांदुला परियोजना का निर्माण ब्रिटिश अभियंता एडम स्मिथ के मार्गदर्शन में वर्ष 1910 से 1920 के बीच पूरा हुआ। वर्ष 1912 में तांदुला जलाशय का निर्माण किया गया। वर्ष 2012 में तांदुला जलाशय का शताब्दि समारोह मनाया गया था। तांदुला बांध की अधिकतम ऊंचाई 24.53 मीटर और लंबाई 2906.43 मीटर है। बांध के दो सहायक बांधों की ऊंचाई क्रमशः 6.61 मीटर और 2.83 मीटर और लंबाई 568.42 और 426.70 मीटर है। छत्तीसगढ़ का तीसरा साबसे बड़ा जलाशय है, और छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा बांध भी है।



तांदुला काम्प्लेक्स परियोजना:-

गोंदली जलाशय(Gondli Dam): वर्ष 1957 में यह महसूस किया गया कि तांदुला जलाशय का पानी आवश्यकताओं को पूर्ण नही कर रही है। इसलिए पास के ही जुंझार/जुहार नाले पर गोंदली जलाशय का निर्माण बालोद जिले में किया गया। इस जलाशय को 9 किलोमीटर लंबी नहर के द्वारा तांदुला से जोड़ा गया। तथा खरखरा जलाशय से भी जोड़ा गया।
नोट : इससे BSP भिलाई को पानी दिया जाता है।

खरखरा जलाशय(Kharkhara Dam): बालोद जिले में खरखरा नदी पर स्थित पुर्णतः मिट्टी से निर्मित जलाशय है। इसकी लाम्बई लगभग 1128 मीटर है। यह एक सायफन परियोजना है, इसका निर्माण 1967 में किया गया था।
प्रवाहित क्षेत्र - कांकेर, बालोद, दुर्ग।