देवबलोदा का शिव मंदिर:
राजधानी रायपुर से करीब 25 किलोमीटर और भिलाई से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर कल्चुरी कालीन (12 वीं से 13वीं शताब्दी ) शिव मंदिर स्थित है। इस मंदिर के गर्भगृह में मौजूद स्वयंभू शिवलिंग भूरे रंग की है।
इस मंदिर के बगल में ही एक बावड़ीनुमा कुंड बना हुआ है। इस कुंड की खासियत है कि गर्मी के दिनों में भी इसका पानी नहीं सूखता। शिवरात्रि के अवसर पर यहां दो दिन का बड़ा मेला लगता है जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
सुरंग टीला मंदिर:
सुरंग टीला मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद जिले में सिरपुर शहर में स्थित 7 वी शाताब्दी का एक प्राचीन शिव मंदिर है। इस पश्चिममुखी विशाल मदिर में पाँच गर्भगृह हैं जिनमें चार भिन्न प्रकार के शिवलिंग हैं – सफ़ेद, काला, लाल और पीला, और अन्य एक गर्भगृह में भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान है। पुर्ण पढ़ें
भूतेश्वरदेव महादेव:
भूतेश्वर महादेव का मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच बसा है गांव मरौदा में स्थित है। इस शिवलिंग की ऊंचाई 16 फिट तथा गोलाई 21 फिट है।
शिवलिंग की ऊंचाई और गोलाई धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। राजस्व विभाग के अनुसार प्रतिवर्ष 6 से 8 इंच की बढ़ोतरी हो रही है।
भूतेश्वर महादेव का मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच बसा है गांव मरौदा में स्थित है। इस शिवलिंग की ऊंचाई 16 फिट तथा गोलाई 21 फिट है।
शिवलिंग की ऊंचाई और गोलाई धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। राजस्व विभाग के अनुसार प्रतिवर्ष 6 से 8 इंच की बढ़ोतरी हो रही है।
लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर
यह मंदिर छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले में स्थित संस्कारधानी शिवरीनारायण से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर बसे खरौद नगर में स्थित एक शिव मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 6 वी शताब्दी में कराया गया था।
यह मंदिर 110 फीट लंबा और 48 फीट चौड़े चबूतरे पर निर्मित है। मंदिर के गर्भगृह में एक विशिष्ट शिवलिंग की स्थापना है। इस शिवलिंग की बडी विशेषता यह है कि शिवलिंग में एक लाख छिद्र है इसीलिये इसका नाम लक्षलिंग भी है।
यहां लोगो की मान्यता है कि चावल के एक लाख दाने चढ़ाने पर इच्छा की पूर्ति होती है।
यह मंदिर छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले में स्थित संस्कारधानी शिवरीनारायण से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर बसे खरौद नगर में स्थित एक शिव मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 6 वी शताब्दी में कराया गया था।
यह मंदिर 110 फीट लंबा और 48 फीट चौड़े चबूतरे पर निर्मित है। मंदिर के गर्भगृह में एक विशिष्ट शिवलिंग की स्थापना है। इस शिवलिंग की बडी विशेषता यह है कि शिवलिंग में एक लाख छिद्र है इसीलिये इसका नाम लक्षलिंग भी है।
यहां लोगो की मान्यता है कि चावल के एक लाख दाने चढ़ाने पर इच्छा की पूर्ति होती है।
भोरमदेव मंदिर:
छत्तीसगढ के कबीरधाम जिले में कबीरधाम से 18 कि. मी. दूर तथा रायपुर से 125 कि.मी. दूर चौरागाँव में एक हजार वर्ष पुराना मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में एक काले पत्थर से बना हुआ शिवलिंग स्थापित है। गर्भगृह में एक पंचमुखी नाग की मुर्ति है साथ ही नृत्य करते हुए गणेश जी की मुर्ति तथा ध्यानमग्न अवस्था में राजपुरूष एवं उपासना करते हुए एक स्त्री पुरूष की मुर्ति भी है।
छत्तीसगढ के कबीरधाम जिले में कबीरधाम से 18 कि. मी. दूर तथा रायपुर से 125 कि.मी. दूर चौरागाँव में एक हजार वर्ष पुराना मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में एक काले पत्थर से बना हुआ शिवलिंग स्थापित है। गर्भगृह में एक पंचमुखी नाग की मुर्ति है साथ ही नृत्य करते हुए गणेश जी की मुर्ति तथा ध्यानमग्न अवस्था में राजपुरूष एवं उपासना करते हुए एक स्त्री पुरूष की मुर्ति भी है।
कुलेश्वर मंदिर:
यह मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले में राजिम नगर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 9 वी शताब्दी में किया गया था। पुरातत्वीय धार्मिक एवं सांस्कृति महत्व का स्थल राजिम रायपुर से 48 कि॰मी॰ दक्षिण में महानदी के दक्षिण तट पर स्थित है जहां पैरी एवं सोंढूर नदी का महानदी से संगम होता है। इसका प्राचीन नाम 'कमल क्षेत्र' एवं 'पद्मपुर' था।
इस मंदिर का निर्माण संगम स्थली पर ऊंची जगती पर किया गया है। इस मंदिर में गर्भगृह, अन्तराल एवं मण्डप है।
यह मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले में राजिम नगर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 9 वी शताब्दी में किया गया था। पुरातत्वीय धार्मिक एवं सांस्कृति महत्व का स्थल राजिम रायपुर से 48 कि॰मी॰ दक्षिण में महानदी के दक्षिण तट पर स्थित है जहां पैरी एवं सोंढूर नदी का महानदी से संगम होता है। इसका प्राचीन नाम 'कमल क्षेत्र' एवं 'पद्मपुर' था।
इस मंदिर का निर्माण संगम स्थली पर ऊंची जगती पर किया गया है। इस मंदिर में गर्भगृह, अन्तराल एवं मण्डप है।
पातालेश्वर/केदारेश्वर महादेव:
पातालेश्वर/केदारेश्वर महादेव मंदिर बिलासपुर जिले के मल्हार में स्थूत है। बिलासपुर शहर से 32 किलोमीटर दूरी पर स्थित नगर पंचायत मल्हार एक ऐतिहासिक स्थल है। मंदिर का निर्माण कल्चुरी काल में 10वीं से 13वीं सदी में सोमराज नामक ब्राह्मण ने कराया था। पुर्ण पढ़ें
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय संरक्षित मंदिर
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय संरक्षित मंदिरों की संख्या कुल 39 है, जिनकी देखरेख केंद्रीय पुरातत्व विभाग के द्वारा किया जाता है। इन मंदिरो में सबसे अधिक 17 शिव मंदिर हैं। बाकी 22 मंदिर विष्णु, बुद्ध, दंतेश्वरी समेत अन्य देवी-देवताओं के हैं। 39 संरक्षित मंदिरों में से विभिन्ना देवी-देवताओं के 19 ऐसे ऐतिहासिक मंदिर हैं, जहां आज भी नियमित रूप से पूजा होती है, जिनमें आठ मंदिर शिवजी के हैं।
राष्ट्रीय संरक्षित आठ शिव मंदिरो की सूची, जहां पूजा होती है :
- अडभार मंदिर अडभार (भग्न शिव मंदिर)- तहसील- शक्ति, जांजगीर-चांपा (सातवीं शताब्दी)
- महादेव मंदिर पाली - तहसील-पाली, कोरबा (आठवीं से नौवीं शताब्दी)
- पतालेश्वर महादेव मंदिर मल्हार - तहसील मस्तुरी, बिलासपुर (12वीं शताब्दी)
- शिव मंदिर गतौरा - तहसील- मस्तुरी, बिलासपुर (14-15वीं शताब्दी)
- महादेव मंदिर बेलपान - तहसील- तखतपुर, बिलासपुर (16वीं शताब्दी)
- महादेव मंदिर बस्तर - तहसील- बस्तर, जगदलपुर (12वीं शताब्दी)
- महादेव मंदिर नारायणपुर - तहसील- कसडोल, बलौदाबाजार (13वीं से 14वीं शताब्दी)
- प्राचीन शिव मंदिर देवबलौदा - तहसील-पाटन, दुर्ग (14वीं शताब्दी)
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देवबलोदा का शिव मंदिर
भूतेश्वरदेव महादेव
कुलेश्वर मंदिर
भोरमदेव मंदिर
लक्षमणेश्वर महादेव मंदिर
देवबलोदा का शिव मंदिर
भूतेश्वरदेव महादेव
कुलेश्वर मंदिर
भोरमदेव मंदिर
लक्षमणेश्वर महादेव मंदिर