स्थापना - 6 जुलाई 1998
क्षेत्रफल - 4447.05 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या - 822526
तहसील - कवर्धा, बोड़ला, पंडरिया, सहसपुर लोहार।
विकासखण्ड - कवर्धा, बोड़ला, पंडरिया, सहसपुर लोहार।
नगर पंचायत - 5
नगर पालिका - 1
ग्राम पंचायत - 371
क्षेत्रफल - 4447.05 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या - 822526
तहसील - कवर्धा, बोड़ला, पंडरिया, सहसपुर लोहार।
विकासखण्ड - कवर्धा, बोड़ला, पंडरिया, सहसपुर लोहार।
नगर पंचायत - 5
नगर पालिका - 1
ग्राम पंचायत - 371
इतिहास :
कवर्धा/कबीरधाम जिले की स्थापना 6 जुलाई 1998 को राजनांदगांव जिले के कुछ हिस्से को अलग कर किया गया था। कबीरधाम संकरी नदी के दक्षिणी किनारे पर बसा हुआ है। कबीर साहिब के आगमन और उनके शिष्य धर्मदास के वंशज की गददी स्थापना के कारण इसका नाम कबीरधाम था। जो कबीरधाम के रूप में जाना जाता है।
जिला मुख्यालय से लगभग 17 किमी की दूरी पर ऐतिहासिक स्थल भोरमदेव स्थित है। यह जगह 9वीं सदी से 14 वीं शताब्दी तक नागवंशी राजाओं की राजधानी थी। उसके बाद यह क्षेत्र राज्य के रतनपुर से संबंधित थे, जो हैहयवंशी राजा के कब्जे में आया। मंदिरों के पुरातात्विक अवशेष और इन राजाओं द्वारा बनाए गए पुराने किले अभी भी उपलब्ध हैं।
छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी "बदरगढ़" कवर्धा जिले में ही स्थित है, इसकी उँचाई करीब 1176 मीटर है।
प्रमुख जनजातियाँ : बैगा, गोंड़
प्रमुख नदियाँ : संकरी, बंजर, फेक।
पर्यटन स्थल
सरोदा जलाशय
यह जलाशय कवर्धा से 8 किलोमीटर दूर स्थित है। यह पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। यह स्थान सनसेट पाइंट के रूप में विकसित हो चुका है। इसका निर्माण वर्ष 1963 में किया गया था। इस जलाशय का निर्माण "उतानी नाला" को बांधकर किया गया है।
छीरपानी जलाशय
बोड़ला से 7 किमी दूरी पर छीरपानी जलाशय स्थित है। इस जलाशय का निर्माण मध्यम परियोजना के तहत किया गया है।
बोड़ला से 7 किमी दूरी पर छीरपानी जलाशय स्थित है। इस जलाशय का निर्माण मध्यम परियोजना के तहत किया गया है।
सुतियापाट जलाशय
सहसपुर लोहारा अंतर्गत ग्राम भैंसबोड़ में सुतियापाट जलाशय स्थित है। लोहारा से इसकी दूरी 18 किमी है। यह लोगों के लिए पर्यटन का अच्छा केंद्र माना जा सकता है।
सतखण्डा महल
भोरदेव कि और से पश्चिम कि तरफ निकलने वाली सड़क पर जाने पर “हरमो” नामक एक गांव स्थित है, जिसमें एक इमारत है जिसे सतखण्डा महल के नाम से जाना जाता है। इसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि छोटे सीढ़ी के साथ यह इमारत में सात खण्ड हैं। इमारत के वास्तुकला के आधार पर इसे एक किला भी कहा जा सकता है। पूर्व से पश्चिम की ओर इसकी लंबाई 21 मीटर है और उत्तर से दक्षिण चौड़ाई 10 मीटर है और ऊंचाई 45 फीट है। इस भवन को भगवान वल्लभाचार्य के जन्मस्थान के रूप में वर्णित किया जाता है।
पीड़ा घाट ( Pidha Ghat ):
यह स्थान प्रकृति प्रेमियों के लिए अप्रत्याशित क्षेत्रों में से एक है । इसे जिले के पर्यटकों स्थलों में हाल ही में शामिल किया गया है जिसे बेहतर सुविधाओं और सुगम पहुँच मार्गों के साथ विकसित किया जा रहा है। यहाँ न केवल सर्व सुविधायुक्त आवासों का निर्माण किया जा रहा है, बल्कि पीड़ा-घाट के केन्द्रीय स्थल को चिन्हित कर पारदर्शी कांच युक्त एक ऊँची मीनार (वॉच टावर) का निर्माण किया गया है। चिल्फी घाटी के जंगल के बीचों-बीच स्थित होने के कारण यह जगह अत्यंत शांत है।
बकेला जैन तिर्थ
बकेला, पिंडारी तहसील मुख्यालय के 20 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम और पचराही से एक किलोमीटर कि दुरी पर स्थित है, जहां से 10 वीं शताब्दी में काले रंग की ग्रेनाइट पत्थर से बना जैन तीर्थंकर प्रभु पार्श्वनाथ की 51 इंच लंबी मूर्ति स्थापित है, जोकि 1978 में प्राप्त की गई थी। यहां जैन धर्मावलम्बियों हेतु जैन तीर्थयात्रा विकसित किया गया है। >> भोरमदेव अभ्यारण्य
पुरातात्विक स्थल:
सिली पचराही, भोरमदेव।
सहसपुर लोहारा अंतर्गत ग्राम भैंसबोड़ में सुतियापाट जलाशय स्थित है। लोहारा से इसकी दूरी 18 किमी है। यह लोगों के लिए पर्यटन का अच्छा केंद्र माना जा सकता है।
सतखण्डा महल
भोरदेव कि और से पश्चिम कि तरफ निकलने वाली सड़क पर जाने पर “हरमो” नामक एक गांव स्थित है, जिसमें एक इमारत है जिसे सतखण्डा महल के नाम से जाना जाता है। इसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि छोटे सीढ़ी के साथ यह इमारत में सात खण्ड हैं। इमारत के वास्तुकला के आधार पर इसे एक किला भी कहा जा सकता है। पूर्व से पश्चिम की ओर इसकी लंबाई 21 मीटर है और उत्तर से दक्षिण चौड़ाई 10 मीटर है और ऊंचाई 45 फीट है। इस भवन को भगवान वल्लभाचार्य के जन्मस्थान के रूप में वर्णित किया जाता है।
पीड़ा घाट ( Pidha Ghat ):
यह स्थान प्रकृति प्रेमियों के लिए अप्रत्याशित क्षेत्रों में से एक है । इसे जिले के पर्यटकों स्थलों में हाल ही में शामिल किया गया है जिसे बेहतर सुविधाओं और सुगम पहुँच मार्गों के साथ विकसित किया जा रहा है। यहाँ न केवल सर्व सुविधायुक्त आवासों का निर्माण किया जा रहा है, बल्कि पीड़ा-घाट के केन्द्रीय स्थल को चिन्हित कर पारदर्शी कांच युक्त एक ऊँची मीनार (वॉच टावर) का निर्माण किया गया है। चिल्फी घाटी के जंगल के बीचों-बीच स्थित होने के कारण यह जगह अत्यंत शांत है।
बकेला जैन तिर्थ
बकेला, पिंडारी तहसील मुख्यालय के 20 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम और पचराही से एक किलोमीटर कि दुरी पर स्थित है, जहां से 10 वीं शताब्दी में काले रंग की ग्रेनाइट पत्थर से बना जैन तीर्थंकर प्रभु पार्श्वनाथ की 51 इंच लंबी मूर्ति स्थापित है, जोकि 1978 में प्राप्त की गई थी। यहां जैन धर्मावलम्बियों हेतु जैन तीर्थयात्रा विकसित किया गया है। >> भोरमदेव अभ्यारण्य
पुरातात्विक स्थल:
सिली पचराही, भोरमदेव।