जिंजी का किला पुडुचेरी में स्थित है। इसका निर्माण चोल राजवंश के द्वारा 9वीं शताब्दी में कराया गया था। किन्तु यह किला आज जिस रूप में है वह विजय नगर के राजा में किया गया था। एक समृद्ध शहर सात पहाडियों पर निर्मित कराया गया है, इनमें से सबसे प्रमुख हैं कृष्णागिरि, चंद्रागिरि और राजगिरि। शिवजी के नेतृत्व में 1677 ई में मराठों ने इस किले को जिला लिया। बाद में 1791 में यह किला ब्रिटिश के कब्जे में आया।
यह किला इतना मजबूत है कि मराठा शासक शिवाजी ने इसे "भारत में सबसे अपरिहार्य किले" के रूप में स्थान दिया और इसे अंग्रेजों द्वारा "पूर्व का ट्रॉय" कहा जाता था। 15-16 वीं शताब्दी के दौरान विजयनगर साम्राज्य के "गिंगी के नायकों" द्वारा बनाया गया था और बाद में स्वतंत्र राजा बन गए (गिंगी के नायक)। शायद इस वजह से इस किले को "गिंगी का किला" भी कहा जाता है।
ऊंची दीवारों से घिरा हुआ यह किला रणनीतिक रूप से इस प्रकार बनाया गया है कि दुश्मन इस पर। यह तीन स्तरों वाले मजबूत प्रवेश से सुरक्षित है, जो अंदर के दरबार को भी उतनी ही सुरक्षा प्रदान करता है। राजगिरि पर इसके किसी भी दुश्मन ने इतनी आसानी से आक्रमण नहीं किया है।