इन्द्रबल, छत्तीसगढ़ में पाण्डु वंश के आदिपुरुष उदयन का पुत्र था। इसे छत्तीसगढ़ में पाण्डु वंश / सोम वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। इसने सरभपुरियो को सत्ताच्युत कर पाण्डु वंश की स्थापना की थी। कौआताल व महासमुंद अभिलेख में उल्लेख है कि इन्द्रबल शरभपुरीय वंश के शासक सुदेवराज के सामंत थे।
इन्द्रबल को "भरत बल" के नाम से भी जाना जाता है। इनका विवाह अमरार्य कुल की राजकुमारी काशा से हुआ था। इन्द्रबल के चार पुत्र थे। जिनके नाम नंदिराज (प्रथम), सुरबल, ईसानदेव, रणकेशरी/रणकेसरी। भांदक शिलालेख में रणकेसरी का उल्लेख है। इन्द्रबल उत्तराधिकारी नंदराज (प्रथम) हुआ।
निर्माण:-
इन्द्रबल ने खरौद नामक नगर बसाया था। खरौद के लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण इन्द्रबल के पुत्र ईसानदेव ने करवाया था। लक्षणमेश्वर शिलालेख में ईसानदेव का उल्लेख है। यह एक शिव मंदिर है, इसे लखनेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
इन्द्रबल ने खरौद नामक नगर बसाया था। खरौद के लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण इन्द्रबल के पुत्र ईसानदेव ने करवाया था। लक्षणमेश्वर शिलालेख में ईसानदेव का उल्लेख है। यह एक शिव मंदिर है, इसे लखनेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।