कोटपाड़ की संधि भोंसले, जैपुर एवं बस्तर राज्य के मध्य हुआ। इस संधि में भोसले शासक बिम्बाजी की ओंर से त्र्यम्बक अविरराव, जैपुर से विक्रमादित्य तथा बस्टर के काकतीय शासक दरियार देव उपस्थित थे।
इस संधि के पश्चात बस्तर भोंसले शासन ( मराठा शासन ) के अधीन हो गया। 6 अप्रैल 1778 से बस्तर, रतनपुर राज्य के अधीन आ गया और छत्तीसगढ़ का हिस्सा बना। दरियार देव ने भोसले शासक को बस्तर राज्य में हस्तक्षेप ना करने के बदले में टकोली (कर) देना स्वीकार किया। इसके अलावा कोटपाड़ परगना जैपुर राज्य को दिया गया।
संधि का कारण:
बस्तर क्षेत्र में अजमेर सिंह के नेतृत्व में हो रहे हल्बा विद्रोह को दबाने के बदले में दरियार देव ने जैपुर में अंग्रेजो,मराठो एवं जैपुर के राजा के साथ अलग-अलग संधि कर 20000 सैनिक जमा किये थे।
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