छत्तीसगढ़ में देवार गीत देवार जाति के लोग द्वारा गया जाता है। देवार लोगों के बारे में अनेकों कहनियाँ प्रचलित है जैसे एक कहानी में कहा जाता है कि देवार जाति के लोग गोंड राजाओ के दरबार में गाया करते थे। किसी कारणवश इन्हें राजदरबार से निकाल दिया गया था और तबसे देवार धुमन्तु जीवन अपना लिया।
यह गीत मौखिक परम्परा पर आधारित है।गीत रुजू, मांदर जैसे वध यंत्रो के साथ गाये जाते है।