छत्तीसगढ़ राज्य वन संसाधन की दृष्टि से एक सम्पन राज्य है। छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्र 55621 वर्ग किलोमीटर है जो कुल क्षेत्र का 44.21% है। भारत मे छत्तीसगढ़ का स्थान तीसरा है।
नोट : छत्तीसगढ़ वन क्षेत्र की दृष्टि से देश में चौथा तथा वन आवरण की दृष्टि से तीसरा स्थान है।(आर्थिक सर्वेक्षण)
नोट : छत्तीसगढ़ वन क्षेत्र की दृष्टि से देश में चौथा तथा वन आवरण की दृष्टि से तीसरा स्थान है।(आर्थिक सर्वेक्षण)
( ISFR ) वन स्थिति रिपोर्ट 2019 :
क्षेत्रफल के अनुसार, मध्य प्रदेश में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है, इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र हैं। प्रतिशत की दृष्टि से छत्तीसगढ़ के कुल 41.13 % भौगोलिक क्षेत्र में वन आवरण है।
यहाँ उष्णकटिबंधीय शुष्कपरनपतिय वन पये जाते है। राज्य में कुल 3 राष्ट्रीय उद्यान तथा 11 अभयारण्य है। राज्य में कुल 4 टाइगर रिजर्व भी है। सन् 2017 में भोरमदेव को देश का 51 वाँ तथा राज्य का 5वाँ राज्य टाइगर रिजर्व बनाये जाने का प्रस्ताव दिया गया था। परंतु अप्रैल 2018 में राज्य सरकार अपने फैसले से पीछे हट गई। राज्य में सर्वाधिक वन नारायणपुर जिला तथा न्यूनतम वन बेमेतरा व दुर्ग में है।
राज्य में उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन सर्वाधिक है। ये कुल वनों का 51.65 % है। वनो में आरक्षित 43.13%, संरक्षित 40.22% तथा अवर्गीकृत 16.65% है। यहाँ साल वृक्ष सर्वाधिक पाये जाते है। यह छत्तीसगढ़ राज्य का राजकीय वृक्ष भी है।
वानिकी क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में भागीदारी (स्थिर भाव पर 2011-12)
वानिकी क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में भागीदारी (स्थिर भाव पर 2011-12)
2016-17 | 2017-18 | 2018-19 | |
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वृद्धि % | 0.34 | 3.49 | 1.84 |
हिस्सा | 2.75 | 2.71 | 2.6 |
राष्ट्रीय उद्यान
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान -
यह राज्य का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। इसकी स्थापना 1981 में की गई थी। इसका पुराना नाम संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान था, परंतु राज्य गठन के बाद इसका नाम 'गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान' कर दिया गया। इसे 2014 में टाइगर रिजर्व बना दिया गया। यह कोरिया तथा सूरजपुर जिले में अवस्थित है। यहाँ नीलगाय, बाघ, तेंदुआ आदि पाये जाते है। सितंबर, 2021 को NTCA ने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया। यह राज्य का चौथा और देश का 53 वाँ टाइगर रिजर्व है।
यह राज्य का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। इसकी स्थापना 1981 में की गई थी। इसका पुराना नाम संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान था, परंतु राज्य गठन के बाद इसका नाम 'गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान' कर दिया गया। इसे 2014 में टाइगर रिजर्व बना दिया गया। यह कोरिया तथा सूरजपुर जिले में अवस्थित है। यहाँ नीलगाय, बाघ, तेंदुआ आदि पाये जाते है। सितंबर, 2021 को NTCA ने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया। यह राज्य का चौथा और देश का 53 वाँ टाइगर रिजर्व है।
इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान -
इस राष्ट्रीय उद्यान से इंद्रावती नदी बहती है। जिस वजह से इसका नाम पड़ा। इसकी स्थापना 1978 में हुई थी। यह बीजपुर जिले में स्थित है। यह राज्य का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है। इसका क्षेत्रफल 1258 वर्ग किलोमीटर है। इसे 1983 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। राज्य सरकार द्वारा 2009 में यहां टाइगर रिजर्व लागू किया गया जिसके बाद इसका क्षेत्रफल 2799 वर्ग किलोमीटर तक फैलाया गया।
इस राष्ट्रीय उद्यान से इंद्रावती नदी बहती है। जिस वजह से इसका नाम पड़ा। इसकी स्थापना 1978 में हुई थी। यह बीजपुर जिले में स्थित है। यह राज्य का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है। इसका क्षेत्रफल 1258 वर्ग किलोमीटर है। इसे 1983 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। राज्य सरकार द्वारा 2009 में यहां टाइगर रिजर्व लागू किया गया जिसके बाद इसका क्षेत्रफल 2799 वर्ग किलोमीटर तक फैलाया गया।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान -
यह राज्य का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान उद्यान है। यह 200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसकी स्थापना 1982 में हुई थी। कांगेर नदी की वजह से इस उद्यान का नाम पड़ा है। यहाँ पहाड़ी मैना को संरक्षित किया गया है। कांगेर नदी में भैसादरहा नामक स्थान पर मगरमच्छ प्रकृतिक निवास है।
यह राज्य का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान उद्यान है। यह 200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसकी स्थापना 1982 में हुई थी। कांगेर नदी की वजह से इस उद्यान का नाम पड़ा है। यहाँ पहाड़ी मैना को संरक्षित किया गया है। कांगेर नदी में भैसादरहा नामक स्थान पर मगरमच्छ प्रकृतिक निवास है।
अभयारण्य
प्रदेश में 11 अभ्यारण्य है।
तमोर पिंगला - सूरजपुर - 1978 - 608 वर्ग किमी
सीतानदी - धमतरी - 1974 - 559 वर्ग किमी
अचानकमार - मुंगेली - 1975 - 552 वर्ग किमी
सेमरसोत - बलरामपुर - 1978 - 430 वर्ग किमी
गोमरदा ( गोमर्डा ) - रायगढ़ - 1975 - 278 वर्ग किमी
पामेड़ - बीजपुर - 1983 - 262 वर्ग किमी
बारनवापारा - बलौदाबाजार - 1976 - 245 वर्ग किमी
उदंती - गरियाबंद - 1983 - 231 वर्ग किमी
भोरमदेव - कवर्धा - 2001 - 164 वर्ग किमी
भैरमगढ़ - बीजपुर - 1983 - 138 वर्ग किमी
बादलखोल - जशपुर - 1975 - 105 वर्ग किमी
सीतानदी - धमतरी - 1974 - 559 वर्ग किमी
अचानकमार - मुंगेली - 1975 - 552 वर्ग किमी
सेमरसोत - बलरामपुर - 1978 - 430 वर्ग किमी
गोमरदा ( गोमर्डा ) - रायगढ़ - 1975 - 278 वर्ग किमी
पामेड़ - बीजपुर - 1983 - 262 वर्ग किमी
बारनवापारा - बलौदाबाजार - 1976 - 245 वर्ग किमी
उदंती - गरियाबंद - 1983 - 231 वर्ग किमी
भोरमदेव - कवर्धा - 2001 - 164 वर्ग किमी
भैरमगढ़ - बीजपुर - 1983 - 138 वर्ग किमी
बादलखोल - जशपुर - 1975 - 105 वर्ग किमी
नोट: उदंती-सीतानदी, तमोरा पिंगला (गुरुघासीदास के साथ) 2009 से टाइगर रिजर्व बना दिया गया है।
टाइगर रिजर्व
वर्तमान में प्रदेश में 4 टाइगर रिजर्व है। सन् 2009 में तीन टाइगर रिजर्व को मान्यता मिली। सितंबर, 2021 को NTCA ने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया। यह राज्य का चौथा और देश का 53 वाँ टाइगर रिजर्व है।
- इंद्रावती, यहाँ प्रोजेक्ट टाइगर 1983 में सुरु हुआ था।
- उदंती-सीतानदी, यहाँ प्रोजेक्ट टाइगर 2006 मे हुआ था।
- अचानकमार, यहाँ प्रोजेक्ट टाइगर 2006 में सुरु हुआ था।
- 2014 में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) ने गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के गठन के लिए अपनी सहमति दे दिया था।
बायोस्फीयर:
राज्य में सिर्फ एक बायोस्फीयर है। अचानकमार, इसकी स्थापना 2005 में की गईं थी। यह देश का 14 वाँ बायोस्फीयर है। इससे पहले 1985 में कांगेर घाटी को बायोस्फीयर बनाने की घोषणा की गई थी, लेकिन स्थापित ना हो सका।
राज्य में सिर्फ एक बायोस्फीयर है। अचानकमार, इसकी स्थापना 2005 में की गईं थी। यह देश का 14 वाँ बायोस्फीयर है। इससे पहले 1985 में कांगेर घाटी को बायोस्फीयर बनाने की घोषणा की गई थी, लेकिन स्थापित ना हो सका।