महासमुंद जिला Mahasamund Jila



जिला - महासमुंद
स्थापना - 6 जूलाई 1998
क्षेत्रफल - 4963 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या 2011 - 1032754
तहसील - महासमुंद, बसना, सरायपाली, बागबाहरा, पिथौरा।
नगर पालिका - 1
नगर पंचायत - 5
ग्राम पंचायत - 491
साक्षरता 2011 - 71.02%
पुरूष साक्षरता - 82.05%
महिला साक्षरता - 60.25%

इतिहास -
हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म का प्रसिद्ध केंद्र सिरपुर महासमुंद जिले में है। सिरपुर शरभपुरीय वंश तथा पांडु वंश की राजधानी थी। पूर्व में (सोमवंशीय सम्राटों के समय) में सिरपुर 'श्रीपुर' के नाम से जाना जाता था, और यह दक्षिण कोशल की राजधानी थी।

सिरपुर का पौराणिक नाम चित्रांगदपुर था। यहा 7 वीं शताब्दी का ईंटो का बना विष्णु मंदिर है, जिसे लक्ष्मण मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसे रानी वास्टा ने अपने पति हर्षगुप्त के याद में बनवाया था। वर्तमान में प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा के अवसर पर सिरपुर महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
पांडु वंशी हर्षगुप्त के पुत्र, महाशिवगुप्त बालार्जुन के शासनकाल में प्रशिद्ध चीनी यात्री व्हेनसांग ने 389 ई. मे सिरपुर की यात्रा की। सिरपुर से महाशिवगुप्त के 27 ताम्रपत्र प्राप्त हुए है।

14 वीं शताब्दी में जब कल्चुरी वंश दो भाग में बटी तब उनकी एक शाखा लहुरी शाखा की प्रथम राजधानी खल्लारी थी, जो महासमुंद जिले में है। खाल्लरी मे कल्चुरी शासक ब्रम्हदेव के शासनकाल के दौरान 1415 ई. मे निर्मित विष्णु मंदिर स्थित है। जिसे देवपाल नामक मोची ने बनवाया था।
प्रशिद्ध सत्याग्रही यती यतानलाल और शंकर राव गनौदवाले ने यहा वर्धन आश्रम की स्थापना की थी।

जनजातियां - भुजिया, हलबा, कमार, धनवार, मुंडा, खरई, कंवर, बहलिया, सहरिया, खैरवार।

नदी - महानदी, जोंक, सारंगी, लात।
परियोजना - शहिद वीर नारायण सिंह (कोडार बांध) परियोजना (जून 1998) कोडार नदी पर स्थित है। वर्तमान नैनी नाला में डायवर्सन बनाकर इसके पानी को कोडार बांध में लाने की योजना है।

पर्यटन स्थल
सिरपुर, चांदी माता मंदिर, खाल्लरी, बारनवापारा अभ्यारण्य, ग्राम बोरिद स्थित झरना, छेरी गोधनी की गुफा ।

सिरपुर: सिरपुर छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद जिले का एक गांव है, रायपुर से 78 किमी दूर और महासमुंद शहर से 35 किमी दूर है। यहां लक्ष्मणेश्वर मंदिर (लक्षमण मंदिर ), सुरंग टीला तथा तीवर देव विहार जैसी पुरातात्विक पर्यटन स्थल स्थित है।

सुरंग टीला मंदिर: यह महासमुंद जिले में सिरपुर शहर में स्थित है। महानदी नदी के किनारे पर स्थित यह ऐतिहासिक शहर अपने प्राचीन मंदिरों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित पुरातात्विक उत्खनन के लिए प्रख्यात है।

गंधेश्वर महादेव : यह सिरपुर में चल रही खुदाई में पुरातत्व विशेषज्ञों को एक शिवलिंग मिला है। करीब 2 हजार साल पुराने इस शिवलिंग की खासियत यह है कि इससे तुलसी के पत्तों सरीखी खुशबू आती है, जिस वजह से इस शिवलिंग का नाम दिया गया है गंधेश्वर महादेव। यह शिवलिंगन वाराणसी के काशी विश्वनाथ और उज्जैन के महाकालेश्वर शिवलिंग जैसा चिकना है। यह शिवलिंग 4 फीट लंबा 2.5 फीट की गोलाई वाले इस शिवलिंग में विष्णु सूत्र (जनेऊ) और असंख्य शिव-धारियां हैं।

चंडी मंदिर बीरकोनी: चंडी मंदिर बीरकोनी एन.एच. 53 के गांव बीरकोनी में है और लगभग 14 किमी पर स्थित है।

चंडी मंदिर घुंचापाली: महासमुन्द से 40 किमी दक्षिण की ओर विकासखण्ड बागबाहरा में घुंचापाली गांव स्थित है।

गौधारा (दलदली): महासमुन्द से लगभग 10 किमी पूर्व की ओर एक दर्शनीय स्थल दलदली स्थित है।

खल्लारी माता का मंदिर: महासमुन्द से 25 किमी दक्षिण की ओर खल्लारी गांव की पहाड़ी के शीर्ष पर खल्लारी माता का मंदिर स्थित है।

श्वेत गंगा (बम्हनी): महासमुन्द से 10 किमी पश्चिम में बम्हनी गांव स्थित है।

धसकुंड जलप्रपात (Dhaskund Waterfall) : यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में सिरपुर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक मौसमी जलप्रपात है।


पुरातात्विक
पुरा नगरी सिरपुर से दक्षिण-पूर्व में करीब 35 किमी. और जिला मुख्यालय महासमुंद से उत्तर-पश्चिम में 15 किमी. दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 353 किनारे स्थित ग्राम बिरकोनी में 23वें जैन तीर्थंकर पाश्र्वनाथ की करीब एक हजार साल पुरानी दुर्लभ प्रतिमा वर्ष 2015 में पाई गई है। 

चंदा देवी गुफा :
चंदा देवी की प्राचीन बौद्ध गुफाएं सिंघधु्रव क्षेत्र में स्थित चंदा देवी की गुफाएं छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के सिरपुर कस्बे से करीब 25 किलोमीटर दूर महानदी के किनारे स्थित हैं। यहां बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन ने ध्यान किया था।

इन्हे भी देखें:
छत्तीसगढ़ के जिलें

Last Update: 22 july 2018