जिला - गरियाबंद
स्थापना - 11 जनवरी 2012
क्षेत्रफल - 5854 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या 2011 - 597653
तहसील - मैनपुर, फिंगेश्वर, छुरा, गरियाबंद, देवभोग।
विकाशखण्ड - मैनपुर, फिंगेश्वर, छुरा, गरियाबंद, देवभोग।
ग्राम पंचायत - 306
पर्वतों (गिरी) से घिरे होने की वजह से इस क्षेत्र का नाम गरियाबंद हुआ। यह जिला अलेक्जेंडर और हीरे जैसे मूल्यवान खनिज के लिए जाने जाते है। देवभोग इस जिले में आता है। लोक मान्यताओ के अनुसार, पूर्व में इस क्षेत्र का चावल, भगवान जगन्नाथ के भोग के लिए भेजा जाता था। इसलिये इस क्षेत्र के चावल का नाम देवभोग हो गया।
स्थापना - 11 जनवरी 2012
क्षेत्रफल - 5854 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या 2011 - 597653
तहसील - मैनपुर, फिंगेश्वर, छुरा, गरियाबंद, देवभोग।
विकाशखण्ड - मैनपुर, फिंगेश्वर, छुरा, गरियाबंद, देवभोग।
ग्राम पंचायत - 306
पर्वतों (गिरी) से घिरे होने की वजह से इस क्षेत्र का नाम गरियाबंद हुआ। यह जिला अलेक्जेंडर और हीरे जैसे मूल्यवान खनिज के लिए जाने जाते है। देवभोग इस जिले में आता है। लोक मान्यताओ के अनुसार, पूर्व में इस क्षेत्र का चावल, भगवान जगन्नाथ के भोग के लिए भेजा जाता था। इसलिये इस क्षेत्र के चावल का नाम देवभोग हो गया।
इतिहास:
महानदी, पैरी और सोंढूर के संगम पर स्थित प्रसिद्ध राजिम तिर्थ इस जिले में स्थित है। जहाँ नलनाग वंशी शासक विलासतुंग ने 712 ई. में राजीव लोचन मंदिर का निर्माण कराया था। यह मंदिर पंचायतन शैली में बना है। पर्वत द्वारक वंश के शासक सोमन्नाराज ने अपनी माता कौतुम्भेशवरी के स्वास्थ्य हेतु देभोक (देवभोग) को दान किया था। जिसका उल्लेख तुष्टिकर के तेरासिंघा ताम्रपत्र में है।
महानदी, पैरी और सोंढूर के संगम पर स्थित प्रसिद्ध राजिम तिर्थ इस जिले में स्थित है। जहाँ नलनाग वंशी शासक विलासतुंग ने 712 ई. में राजीव लोचन मंदिर का निर्माण कराया था। यह मंदिर पंचायतन शैली में बना है। पर्वत द्वारक वंश के शासक सोमन्नाराज ने अपनी माता कौतुम्भेशवरी के स्वास्थ्य हेतु देभोक (देवभोग) को दान किया था। जिसका उल्लेख तुष्टिकर के तेरासिंघा ताम्रपत्र में है।
पर्यटन - फिंगेश्वर में स्थित कर्णेश्व महादेव, कोपेश्वर, पंचकोशी महादेव, सिरकट्टी आश्रम, जतमई माता मंदिर, घटारानी मंदिर उदन्ती अभ्यारण्य, चिंगारा पगार जलप्रपात और भूतेश्वरनाथ महादेव।