शब्द के प्रकार ( शब्द विचार ) - Shabd Ke Prakar


वर्ण एवं ध्वनि के समूह को शब्द कहा जाता है। इन शब्दों को उनके व्यूपत्ति, उत्त्पत्ति एवं प्रयोग के आधार पर बांटा गया है।

व्युत्पत्ति के आधार पर :-
व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के 3 भेद है - रूढ़, यौगिक, योग रूढ़।

उत्पत्ति के आधार पर :-
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के 4 भेद है - तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी।

प्रयोग के आधार पर :-
प्रयोग के आधार 8 भेद होते है - संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रिया - विशेषण, संबंध बोधक, समुच्चय बोधक तथा विस्मयादि बोधक।
इन 8 प्रकार के शब्दों को विकार की दृष्टि से दो भागों में बंटा गया है - विकारी और अविकारी।

अर्थ की दृष्टि से :-
अर्थ की दृष्टि से 2 भेद होते है - सार्थक और निर्थक।
सार्थक - ऐसे शब्द जिनसे किसी निश्चित अर्थ का बोध हो उन्हे सार्थक शब्द कहते है। उदा. नभ, जल, रोटी।
निर्थक - ऐसे शब्द जिनका कोई अर्थ नहीं होता उन्हे निर्थक शब्द कहते है। उदा. पानी-वानी, इसमे "वानी" का कोई अर्थ नहीं है।




व्युत्पत्ति के आधार पर
1) रूढ़:
ऐसे शब्द जो अन्य शब्दो के योग से बना हो और कोई विशेष अर्थ प्रकट करता हो। इन शब्दो को तोड़ने कोई अर्थ नही होता, उन्हे रूढ़ शब्द कहते है।
उदाहरण- कल, पल। इनमे क, ल को अलग करने पर कोई भी अर्थ प्राप्त नहीं होगा।

2) यौगिक:
ऐसे शब्द जो सार्थक शब्दो के योग से बनते है उन्हे यौगिक कहते है। ऐसे शब्दो को अलग करने पर अलग हुये शब्दो का अर्थ मुल शब्द के समान ही होगा।
उदाहरण- देवालय = देव + आलय । मतलब देवता का घर।

3) योगरूढ़:
ऐसे यौगिक शब्द जो समान्य अर्थ न प्रकट कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करे उसे योगरूढ़ शब्द कहते है। इस शब्दो को अलग करने पर अलग और मिलाने पर अलग अर्थ प्रकट होता है।
उदाहरण- दशानन - दश ( दस ) और आनन ( मुख ) वाला - रावण।