महाशिवगुप्त बालार्जुन पांडु वंश के थे। इनका शासन काल 595-655 ई. तक था। हर्षगुप्त के पुत्र महाशिवगुप्त पाण्डु वंश महानतम शासक थे।इन्होंने सर्वाधिक समय तक शासन किया।ये शैव धर्म के अनुयायी थे, और अन्य धर्मो के प्रति उदार थे।
इनके शासन काल में चीनी यात्री व्हेनसांग ( 639 ई. - यात्रा वृत्तान्त सी.यु.की. / युवानच्वांग, युवान चांग या युआन-त्यांग, चेन आई) ने छत्तीसगढ़ ( दक्षिण कोसल ) की यात्रा की थी। व्हेनसांग ने छत्तीसगढ़ को कियसिलो नाम दिया था।
इनके शासन काल में चीनी यात्री व्हेनसांग ( 639 ई. - यात्रा वृत्तान्त सी.यु.की. / युवानच्वांग, युवान चांग या युआन-त्यांग, चेन आई) ने छत्तीसगढ़ ( दक्षिण कोसल ) की यात्रा की थी। व्हेनसांग ने छत्तीसगढ़ को कियसिलो नाम दिया था।
इनके 27 ताम्र पत्र अभिलेख सिरपुर से प्राप्त हुए है। इन ताम्र पत्रो का अध्ययन सर्वप्रथम डॉ. विष्णु सिंह ठाकुर व डॉ. रामेन्द्र नाथ ने किया ।
इनके शासन काल मे बौद्ध धर्म सर्वाधिक फला-फुला। इनके शासन काल मे 100 संघाराम विहार थे जिसमें 1000 भिक्षुक निवास करते थे।
आनंद प्रभु कुटीर, स्वस्तिक विहार का निर्माण इसी काल मे हुआ।
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