संस्थापक - अन्नम देव।
अवधि - 1324 - 1961
राजधानी - मंधोता, बस्तर।
छत्तीसगढ़ में काकतीय ( चालुक्य ) वंश की स्थापना अन्नम देव ने की थी। इनका सम्बन्ध तेलंगना के काकतीय वंश से था। छत्तीसगढ़ में इनकी आरम्भिक राजधानी मंधोता थी। इस वंश के शासक पुरुषोत्तम देव ने बस्तर को राजधानी बनाया। इस वंश की प्रफुल्ल कु. देवी छत्तीसगढ़ की एकमात्र महिला शासिका थी।
कतकीय वंश के वंशज
- अन्नम देव : ये बस्तर में काकतीय वंश के संस्थापक एवं प्रथम शासक थे। इनके शासन के दौरान ही दंतेवाड़ा में तराला ग्राम में डंकनी-शंखिनी नदी के तट पर दंतेश्वरी मंदिर का निर्माण हुआ।
- हमीर देव
- भैराव देव
- पुरषोत्तम देव : इन्होंने मंधोता से राजधानी स्थानांतरित कर बस्तर को राजधानी बनाया। इन्होंने बस्तर में रथयात्रा परंपरा की सुरुवात की जिसे गोंचा पर्व भी कहा जाता है।
- जयसिंह देव
- नरसिंह देव
- प्रतापराज देव : इनके शासन काल में मुहम्मद कुली कुतुबशाह की सेना ने बस्तर पर आक्रमण किया परन्तु वे बस्तर की सेना से पराजित हुए।
- जगदीशराज देव
- वीरनारायण : इनके शासन काल के दौरान गोलकुण्डा के शासक अब्दुल्ला कुतुबशाह ने बस्तर के हिन्दू राजाओ पर आक्रमण किया । यह आक्रमण भी असफल रहा।
- वीरसिंह देव्
- राजपाल देव
- दलपतदेव : इन्होंने 1770 में राजधानी बस्तर से जगदलपुर स्थानांतरित किया। इनके शासन के दौरान नीलू पंत ने प्रथम भोसला आक्रमण किया।
- अजमेर सिंह : इन्हें बस्तर में क्रांति के मसीहा नाम से जाना जाता है। वर्ष 1774 में इनके नेतृत्व में प्रथम जनजाति विद्रोह ( हल्बा विद्रोह ) प्रारम्भ हुआ। अजमेर सिंह के भाई दरियार देव ने षड्यंत्र कर इनकी हत्या कर दी।
मराठा के अधीन काकतीय शासक
- दरियादेव : इनके शासन काल के दौरान 1778 में कोटपाड़ की संधि हुई। इस संधि पर 6 अप्रैल 1778 को दरियार देव ने हस्ताक्षर किया।
- महिपालदेव : इनके शासन काल के दौरान 1825 में गेंद सिंह के नेतृत्व में परलकोट विद्रोह हुआ।
- भूपाल देव : नरबलि प्रथा की वजह से मराठा शासन के द्वारा भूपाल देव पर अभियोग चला। इनके शासन के दौरान 1842 में हिडमा मांझी के नेतृत्व में मेरिया विद्रोह तथा दलगंजन सिंह के नेतृत्व में तारापुर विद्रोह हुआ।
ब्रिटिश शासन के अधीन काकतीय शासक
- भैरमदेव : इनके शासन काल के दौरान लिंगागिरी तथा कोई जनजातीय विद्रोह हुआ।
- रुद्र प्रताप देव : जगदलपुर को चौराहों का शहर बनाया तथा बस्तर रियासत में अनिवर्त शिक्षा लागू किया। इनके शासन के दौरान 1910 में गुण्डाधुर के नेतृत्व में प्रसिद्ध भूमकाल विद्रोह हुआ।
- प्रफुल्ल कु. देवी : छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला शासिका
- प्रवीरचंद भंजदेव
अन्नम देव 1313 में राजा बनें। 1324 ई. में छिंदक नागवंश इस वंश के अंतिम शासक हरिश्चन्द्र देव को इन्होने हराकर बस्तर से छिंदक-नागवंश का अंत किया।
बस्तर दशहरा ( मुख्यलेख ):
काकतिया / चालुक्य नरेश पुरुषोत्तम देव ने एक बार श्री जगन्नाथपुरी तक पैदल तीर्थयात्रा कर मंदिर में स्वर्ण मुद्राएँ तथा स्वर्ण भूषण आदि सामग्री भेंट में अर्पित की थी। यहाँ पुजारी ने राजा पुरुषोत्तम देव को रथपति की उपाधि से विभूषित किया। जब राजा पुरुषोत्तम देव पुरी धाम से बस्तर लौटे तब उन्होंने धूम-धाम से दशहरा उत्सव मनाने की परंपरा का शुभारम्भ किया और तभी से गोंचा और दशहरा पर्वों में रथ चलाने की प्रथा चल पड़ी।
विद्रोह :
काकतीय शासन काल में इस क्षेत्र में कई जनजातीय विद्रोह हुए। जो निम्न है।