शिवरीनारायण - Shivrinarayan



शिवरीनारायण छत्तीसगढ़ में महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के त्रिधारा संगम के तट पर स्थित प्राचीन एवं  विख्यात कस्बा है। यह क़स्बा जांजगीर-चाम्पा जिले में स्थित है। यह "छत्तीसगढ़ की जगन्नाथपुरी" के नाम से के नाम से भी जाना जाता है। इसे छत्तीसगढ़ का गुप्त प्रयाग भी कहते है।

इतिहास :
इस स्थान का वर्णन महाकाव्य रामायण में भी है। इसी स्थान पर भगवान श्रीराम ने शबरी नामक कोल आदिवासी महिला के जूठे बेर खाये थे। शबरी की स्मृति में ‘शबरी-नारायण’ नगर बसा है। यह स्थान बैकुंठपुर, रामपुर, विष्णुपुरी और नारायणपुर के नाम से विख्यात था।

शिवरीनारायण मंदिर / Shivrinarayan mandir:
शिवरीनारायण स्थित शबरीनारायण मंदिर का निर्माण शबर राजा द्वारा कराया गया मानते हैं। यहाँ ईंट और पत्थर से बना 11-12  वीं सदी केशवनारायण मंदिर का मंदिर है। चेदि संवत् 919 का 'चंद्रचूड़ महादेव'' का एक प्राचीन मंदिर भी है।

महानदी के तट पर महेश्वर महादेव और कुलदेवी शीतला माता का भव्य मंदिर, बरमबाबा की मूर्ति और सुन्दर घाट है। जिसका निर्माण निर्माण संवत् 1890 में मालगुजार माखन साव के पिता श्री मयाराम साव और चाचा श्री मनसाराम और सरधाराम साव ने कराया है।
माता शबरी कि प्रतिमा शिवरीनारायण के केशव नारायण मंदिर में स्थापित है|


किंवदंती:
एक किंवदंती के अनुसार शिवरीनारायण के शबरीनारायण मंदिर और जांजगीर के विष्णु मंदिर में छैमासी रात में बनने की प्रतियोगिता थी। सूर्योदय के पहले शिवरीनारायण का मंदिर बनकर तैयार हो गया इसलिये भगवान नारायण उस मंदिर में विराजे और जांजगीर का मंदिर को अधूरा ही छोड़ दिया गया जो आज उसी रूप में स्थित है।

शिवरीनारायण मेला : 
शिवरीनारायण में प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से सुरु होकर महाशिवरात्रि तक मेला आयोजित होता है।